Balrampur News : उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर से जुड़ी एटीएस (एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड) की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच में सामने आया है कि छांगुर ने कागजी ट्रस्ट और संस्थाओं के माध्यम से करोड़ों रुपये का फंड जुटाया, और तो और, उसके सहयोगियों को बिना दुबई गए ही वहाँ की सरकार से धर्मांतरण प्रमाणपत्र भी मिल गए।
कागजी ट्रस्ट और विदेशी फंडिंग का मकड़जाल
एटीएस के अनुसार, छांगुर का गिरोह संगठित रूप से काम कर रहा था। यह गिरोह पारिवारिक समस्याओं या गरीबी से जूझ रहे लोगों की तलाश करता था और उन्हें धर्मांतरण के लिए प्रेरित करता था। इस पूरी प्रक्रिया में, फंड जुटाने और उसे विदेश भेजने के लिए आस्वी इंटरप्राइजेज, आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट, आसिपिया हसनी हुसैनी कलेक्शन, बाबा ताजुद्दीन आस्वी बुटीक जैसी कागजी संस्थाएं बनाई गईं।
छांगुर ने इन संस्थाओं के नाम पर दो बैंकों में आठ खाते खुलवाए। उसने अपने एक बैंक खाते से विदेशी खाते में 6 लाख रुपये और नेफ्ट के माध्यम से 10 लाख रुपये जमा किए। उसके सहयोगियों के खातों से भी लगातार लेनदेन होता रहा। छांगुर इन ट्रस्टों के माध्यम से इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार भी कर रहा था और पुणे के एक प्रभावशाली व्यक्ति इदुल इस्लाम की मदद से पूरे देश में पांव पसारने की तैयारी में था। एटीएस को ऐसे प्रमाण मिले हैं कि छांगुर देश के कई प्रदेशों में जमीन खरीदकर अपने ठिकाने बना रहा था।
‘दुबई कनेक्शन’ का बड़ा फर्जीवाड़ा
जांच में एक बड़ा खुलासा यह हुआ कि नवीन रोहरा, नीतू नवीन रोहरा और नवीन की बेटी का धर्म परिवर्तन दुबई से कराया जाना दिखाया गया है। दुबई में 16 नवंबर 2015 को अल फारूक्यू कमर बिन खताब सेंटर में धर्मांतरण की यह प्रक्रिया हुई बताई गई, जिसे दुबई सरकार के इस्लामिक अफेयर एवं चैरिटेबल एक्टिविटी डिपार्टमेंट से प्रमाणित भी किया गया था।
हालांकि, एटीएस द्वारा पासपोर्ट की जांच करने पर पता चला कि नवीन, नीतू और उनकी बेटी 16 नवंबर 2015 को दुबई में थे ही नहीं। इससे धर्मांतरण की पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है और यह आशंका जताई जा रही है कि गिरोह ने फर्जी नामों से पासपोर्ट बनवाकर यह सब किया है।
आजमगढ़ में ठिकाना और अन्य सहयोगी
एटीएस की जांच से यह भी साफ हुआ है कि छांगुर आजमगढ़ में अपना ठिकाना बना रहा था। वर्ष 2023 में आजमगढ़ के देवगांव में अवैध धर्मांतरण के मामले में छांगुर के भतीजे सबरोज, रशीद, साले का लड़का शहाबुद्दीन और रिश्तेदार रमजान सहित 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।
छांगुर का एक और करीबी, उतरौला का मोहम्मद अहमद खान भी चर्चा में है, जिसके खिलाफ 2019 में गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर में गिरफ्तारी का आदेश जारी हुआ है। 4 जुलाई को लखनऊ के एसीजेएस प्रथम न्यायालय में सुनवाई के दौरान मोहम्मद अहमद पेश नहीं हुआ, जिस पर न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया है और स्थानीय पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
कैसे बढ़ा छांगुर का रुतबा?
मूल रूप से बलरामपुर के रेहरामाफी गांव का रहने वाला छांगुर ने अंगूठी-नग बेचने का काम शुरू किया था। 2015 में पंचायत चुनाव लड़कर वह प्रधान बना, और यहीं से उसका दबदबा बढ़ना शुरू हुआ। उसने धर्म परिवर्तन कराकर अपनी साख बनानी चाही और अपने बेटे महबूब को सियासत में मजबूत करने की रणनीति बनाई। 2022 के पंचायत चुनाव में बेटे महबूब को प्रधान पद पर चुनाव लड़ाया, लेकिन वह जीत नहीं सका। नवीन और नीतू के धर्मांतरण के बाद छांगुर के पास कथित तौर पर पैसों की कमी दूर हो गई थी।
कीपैड मोबाइल और 100 करोड़ का नेटवर्क
एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश ने बताया कि एटीएस की छानबीन में छांगुर बाबा और उसके गैंग के सदस्यों द्वारा 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाने के सबूत मिले हैं, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि गैंग के सदस्यों ने खुद और अलग-अलग संस्थाओं के नाम से 40 से भी ज्यादा बैंक खाते खुलवाए थे, जिनके जरिए कई संदिग्ध खातों में रकम ट्रांसफर की गई है। इन खातों का संचालन कई दूसरे राज्यों में हो रहा है।
हैरानी की बात यह है कि छांगुर बाबा खुद कीपैड वाला साधारण मोबाइल रखता था, जबकि नीतू एंड्रॉइड मोबाइल का इस्तेमाल करती थी। नवीन ही छांगुर बाबा को लग्जरी वाहनों में लेकर चलता था और नीतू हमेशा उसके साथ रहती थी। एडीजी ने यह भी बताया कि छांगुर गैंग के सदस्य 40 से भी ज्यादा बार इस्लामिक देशों की यात्रा पर गए थे, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि उनके तार अवैध धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी जुड़े हैं। इसका पता लगाने के लिए छांगुर को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।