वाराणसी, 9 जुलाई, 2025: वाराणसी में रामनगर से पड़ाव तक सड़क चौड़ीकरण परियोजना को लेकर सैकड़ों प्रभावित भूमिधरों, दुकानदारों और मकान मालिकों ने मुआवजे की असमानता के खिलाफ आवाज उठाई है। आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनसंपर्क कार्यालय पर एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें राजस्व दर ₹9,000 प्रति वर्ग मीटर के स्थान पर ₹950 प्रति वर्ग मीटर मुआवजा निर्धारित किए जाने का कड़ा विरोध किया गया है।
प्रभावित लोगों का आरोप है कि इस परियोजना में उनकी संपत्तियों – मकानों, दुकानों और भूमियों की बाउंड्री – को बिना किसी पूर्व नोटिस और बिना उचित मुआवजे के तोड़ दिया गया है।
मुआवजे की दर पर बड़ा सवाल
चंदौली के भू-राजस्व विभाग द्वारा जारी अभिलेखों के अनुसार, इस रोड सेगमेंट का सरकारी मूल्य ₹9,000 प्रति वर्ग मीटर निर्धारित है। इसी दर पर कई वर्षों से इस क्षेत्र में जमीनों की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री की जा रही है। हालाँकि, जिलाधिकारी चंदौली द्वारा बनाई गई एक समिति ने इस क्षेत्र को कृषि क्षेत्र मानते हुए मुआवजे की दर ₹950 प्रति वर्ग मीटर निर्धारित कर दी है, जिससे प्रभावित लोग बेहद नाराज़ हैं।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि मोहन सराय से कैंट तक बन रही सड़क परियोजना में रोड सेगमेंट के सरकारी सर्किल रेट के अनुसार सभी प्रभावितों को मुआवजा दिया जा रहा है। ऐसे में, यह सवाल उठ रहा है कि आखिर रामनगर-पड़ाव सड़क परियोजना में मुआवजे की राशि देने में यह बड़ा अंतर क्यों किया जा रहा है?
प्रभावित भूमिधर और सरकारी निर्देशों की अवहेलना
पड़ाव-रामनगर-टेंगरा मोड़ फोर लेन प्रोजेक्ट के तहत लगभग 15% भूमिधर सीधे प्रभावित हो रहे हैं, और इन्हीं भूमिधरों द्वारा मुआवजे की मांग रोड सेगमेंट सर्किल रेट के अनुसार की जा रही है। वहीं, सड़क का लगभग 85% हिस्सा आबादी, बंजर भूमि और काशी नरेश एस्टेट से संबंधित है।
प्रभावितों का कहना है कि शासन द्वारा रोड सेगमेंट सर्किल रेट से सभी भूमिधरों को मुआवजा देने के स्पष्ट निर्देश हैं, लेकिन पड़ाव से रामनगर रोड निर्माण में इन निर्देशों की लगातार अवहेलना की जा रही है। इसी मुद्दे को लेकर आज वाराणसी में प्रधानमंत्री के जनसंपर्क कार्यालय पर यह ज्ञापन दिया गया।
यह देखना होगा कि सरकार इस असमानता को दूर करने और प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए क्या कदम उठाती है।