नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लैंड फॉर जॉब मामले में सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई तेजी से करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
शुक्रवार को जस्टिस एम एम सुंदरेश की अगुवाई वाली बेंच ने लालू प्रसाद यादव की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से साफ इनकार करते हुए कहा, “हम रोक नहीं लगाएंगे। हम अपील खारिज कर देंगे और कहेंगे कि मुख्य मामले पर फैसला होने दीजिए। हम इस छोटे से मामले को क्यों रोके रखें?”
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआई के आरोपपत्र को रद्द करने की लालू यादव की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ही फैसला करेगा।
दिल्ली हाई कोर्ट का पूर्व फैसला
लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया था, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 मई को उनकी याचिका पर निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने की उनकी याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 12 अगस्त को तय की है। लालू यादव की तरफ से दाखिल याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट से 2022, 2023 और 2024 में दाखिल की गई एफआईआर और चार्जशीट को रद्द करने की मांग की गई थी।
क्या है लैंड फॉर जॉब मामला?
लैंड फॉर जॉब मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। इस केस में लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनकी दो बेटियां (मीसा भारती और हेमा यादव) और 12 अन्य लोगों के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर किए गए हैं।
सीबीआई का आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए बड़े पैमाने पर रेलवे में नौकरी देने में धांधली की। चार्जशीट के मुताबिक, लालू यादव ने बिना किसी विज्ञापन के ग्रुप डी में 12 लोगों को नौकरी दी। इसके बदले में आवेदकों से उनकी जमीन अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर लिखवाई। आरोप है कि जमीन देने वालों को रेलवे के अलग-अलग ज़ोन, खासकर जबलपुर स्थित पश्चिम मध्य रेलवे ज़ोन में ग्रुप डी की भर्तियां दी गईं।
यह मामला यादव परिवार और उनसे जुड़े लोगों के नाम पर ज़मीन ट्रांसफर होने से जुड़ा है, जिसके बदले रेलवे में नौकरी दी गई थी।