नई दिल्ली: दिल्ली की बीजेपी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत अब दिल्ली में केवल स्थानीय महिलाएं ही मुफ्त बस सेवा का लाभ उठा सकेंगी। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने 2019 में सभी महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा शुरू की थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के इस नए आदेश से दिल्ली में बड़ी संख्या में रह रही बाहरी महिलाओं, खासकर प्रवासी श्रमिक महिलाओं पर सीधा असर पड़ेगा।
शहनाज की कहानी: एक प्रवासी महिला का दर्द
यह फैसला बिहार की शहनाज जैसी हज़ारों महिलाओं के लिए मुश्किल खड़ी कर देगा। शहनाज दिल्ली में घरों में काम करके महीने के 2-3 हजार रुपये प्रति घर कमाती हैं, यानी कुल 10 हजार रुपये से ज़्यादा उनकी मासिक आमदनी नहीं है। उनका एक छोटा बच्चा है जिसका एक पैर दुर्घटना में कट गया था और वह चल नहीं पाता। बच्चे की दवाइयों के लिए उन्हें जामिया नगर से 10-13 किलोमीटर दूर सफदरजंग अस्पताल जाना पड़ता है।
शहनाज बताती हैं, “मैं हमेशा बस का इस्तेमाल करती थी और बस वाला एक गुलाबी रंग का टिकट दे दिया करता था। बिना पैसा खर्च किए अस्पताल पहुंच जाया करती थी। बस के टिकट में जो भी 20 से 40 रुपये बच जाते थे, वो मेरे लिए तो बहुत हुआ करता था। आने-जाने के यह पैसे मेरे लिए इतने ज़्यादा हैं कि टिकट के पैसे बचाने के लिए अब मैं पैदल अस्पताल चली जाऊंगी।”
शहनाज जैसी महिलाओं को अब दिल्ली का आधार कार्ड, पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और केवाईसी दस्तावेज जमा करके ‘पिंक पास’ के लिए आवेदन करना होगा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा।
‘पिंक टिकट’ से ‘पिंक पास’ तक का सफर
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि दिल्ली परिवहन निगम (DTC) और क्लस्टर बसों में मुफ्त बस यात्रा के लिए मौजूदा ‘पिंक टिकट’ सिस्टम को जल्द ही आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। ‘पिंक टिकट’ की जगह अब ‘पिंक पास’ जेनरेट किया जाएगा, जिसका लाभ केवल दिल्ली में रहने वाली महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति ही उठा सकेंगे। परिवहन मंत्री पंकज सिंह ने बताया कि ‘पिंक पास’ के लिए डिजिटल और प्रशासनिक ढाँचे को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
पिंक टिकट स्कीम (2019-2024): आम आदमी पार्टी ने 2019 में ‘पिंक टिकट’ स्कीम शुरू की थी, जिसके तहत दिल्ली में सभी महिलाओं के लिए बस यात्रा मुफ्त कर दी गई थी। इस योजना से बसों में महिला यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। ग्रीनपीस के सर्वे के मुताबिक, 2024 तक 100 करोड़ ‘पिंक टिकट’ जारी किए जा चुके थे। अक्टूबर 2019 में जब यह योजना शुरू हुई, तो बस यात्रियों में 33% महिलाएं थीं, जो 2023 तक बढ़कर 42% हो गईं। पूर्व वित्त मंत्री आतिशी ने बताया था कि रोज़ाना लगभग 11 लाख महिलाओं ने मुफ्त बस यात्रा का लाभ उठाया।
किन महिलाओं पर पड़ेगा सबसे ज़्यादा असर?
यह नया नियम उन सभी महिलाओं पर सीधा असर डालेगा जो दिल्ली के बाहर के राज्यों (जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड) से आकर दिल्ली में रह रही हैं, या फिर नोएडा और गाजियाबाद जैसे पड़ोसी शहरों से दिल्ली आती हैं।
- प्रवासी आबादी: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में दिल्ली में दूसरे शहरों से आकर रहने वालों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है (महाराष्ट्र के बाद)। एसोचैम के 2010 के सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में 70% प्रवासी महिलाएं उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं।
- छात्र: दिल्ली में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने आते हैं, जिनमें से कई किराए पर कमरा लेकर रहते हैं। मुफ्त बस सेवा उनके मासिक खर्च में बड़ी बचत करती थी, जो अब संभव नहीं होगा।
- कामकाजी महिलाएं: कई मजदूर वर्ग और कामकाजी महिलाएं जो दिल्ली में नौकरी करती हैं, उन्हें अब बस किराए का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। इनमें घरेलू कामगार, सुरक्षा गार्ड, शिक्षक आदि शामिल हैं, जिनकी आय सीमित होती है।
दिल्ली के दक्षिणी इलाकों (दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली) में प्रवासियों की आबादी सबसे ज़्यादा (40% से अधिक) है, जबकि मध्य दिल्ली में यह सबसे कम (17%) है।
सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
बीजेपी सरकार का कहना है कि यह फैसला भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक हकदारों तक पहुँचाने के लिए लिया गया है।
- दुरुपयोग के आरोप: अधिकारियों का कहना है कि 2019 की ‘पिंक टिकट’ स्कीम की खुली पहुंच के कारण दुरुपयोग हुआ, जिसमें गैर-निवासी भी इसका लाभ उठा रहे थे।
- भ्रष्टाचार के आरोप: हाल के महीनों में टिकटों की संख्या में बढ़ोतरी, यात्रियों की संख्या के आंकड़ों में गड़बड़ी और संभावित राजस्व चोरी के आरोप भी सामने आए थे।
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बयान: उन्होंने मार्च में अपने बजट भाषण में ‘पिंक टिकट’ योजना को ‘पिंक भ्रष्टाचार’ बताते हुए कहा था कि महिलाएं 100 रुपये में सफर करती थीं, लेकिन बिल 400 रुपये का बनता था। उन्होंने कहा, “इसे खत्म करने के लिए, हम पिंक टिकट योजना की जगह स्मार्ट बस कार्ड लाने जा रहे हैं… हमारी सरकार का एक अहम मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो असल में इसके हकदार हैं। अब सिर्फ दिल्ली के लोग ही इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगे। रोहिंग्या और बांग्लादेशी इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे।”
इस फैसले से दिल्ली की प्रवासी आबादी पर गहरा असर पड़ने की संभावना है, खासकर उन महिलाओं पर जिनकी आय कम है और जो सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर करती हैं।