Guru Purnima 2025 : काशी ने एक बार फिर धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत संदेश दिया है। गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, रामानंदी संप्रदाय के प्राचीन पातालपुरी मठ में एक अनूठी तस्वीर देखने को मिली, जहां सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं ने मठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज की आरती उतारी, उन्हें तिलक लगाकर स्वागत किया, और मुस्लिम बंधुओं ने उन्हें रामनामी अंगवस्त्रम् ओढ़ाकर सम्मानित किया।
गुरु-शिष्य परंपरा और सांस्कृतिक एकता का संदेश
जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि गुरु पूर्णिमा अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने का सबसे बड़ा त्योहार है। यह गुरु और शिष्य के रिश्ते को मजबूत करता है। उन्होंने बताया कि असली गुरुदीक्षा वही है जिसमें शिष्य गुरु के बताए मार्ग पर चले, लोक कल्याण करे, देश के लिए जिए, पारिवारिक एकता बनाए रखने के लिए त्याग करे और सभी लोगों का सम्मान करे। उनके अनुसार, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना और जीवन जीने का तरीका बिना गुरु के संभव नहीं है।
पातालपुरी मठ इस अवसर पर भारत की महान गुरु परंपरा का गवाह बना, जहां सैकड़ों मुस्लिमों ने गुरुदीक्षा लेकर देश के लिए जीने की शपथ ली। जगद्गुरु ने कहा कि रामपंथ एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है, जिससे लोगों में दया, प्रेम, करुणा, शांति और लोक कल्याण की भावना विकसित होती है। उन्होंने जोर दिया कि अखंड भारत भूमि पर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति डीएनए, पूर्वज, परंपरा और संस्कृति से एक ही है, जिसे अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने रामपंथ में सबका स्वागत करते हुए कहा कि किसी को न मना किया जा सकता है और न किसी से कोई भेद किया जा सकता है।
धर्म, शांति और राम के मार्ग पर चलने का आह्वान
जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज ने स्पष्ट किया कि धर्म और जाति के नाम पर भेद करने वाले कट्टरपंथी अब समाज को स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर हिंसा करने वाले अधर्मी हैं और सभी को राम के रास्ते पर चलकर ही जीवन को श्रेष्ठ बनाना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया शांति के रास्ते पर तभी चल पाएगी जब वह भगवान राम के रास्ते पर चलेगी, क्योंकि राम का नाम प्रेम, दया और शांति का दर्शन है।
दीक्षा पाकर शहाबुद्दीन तिवारी, मुजम्मिल, फिरोज, अफरोज, सुल्तान, नगीना और शमशुनिशा बेहद खुश थे। शहाबुद्दीन तिवारी ने कहा कि उनके पूर्वज रामपंथी थे और इसी मठ के अनुयायी थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भले ही उनकी पूजा पद्धति बदल गई हो, लेकिन उनके पूर्वज, परंपरा, रक्त और संस्कृति नहीं बदल सकती।
नौशाद अहमद दूबे ने कहा कि गुरु पीठ के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ज्ञान तो गुरु से ही मिलेगा, और जिसके पास ज्ञान है, वहां कोई भेद नहीं हो सकता। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने भी कहा कि राम के रास्ते पर चलकर ही विश्व में शांति आ सकती है, और गुरु के बिना राम तक नहीं पहुंचा जा सकता, क्योंकि गुरु ही अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जा सकता है।
जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज ने आदिवासी समाज के बच्चों को दीक्षित कर संस्कृति के प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी, साथ ही मुस्लिम समाज के लोगों से भी भारत की महान संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने और अपने पूर्वजों से जुड़े रहने का आह्वान किया।