समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित किए गए विधायक मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को उत्तर प्रदेश विधानसभा से असंबद्ध (unattached) घोषित कर दिया गया है। इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है। इस फैसले के बाद इन तीनों विधायकों को सदन में अब सपा विधायकों से अलग बैठना होगा।
क्रॉस वोटिंग बनी निष्कासन की वजह
बता दें कि इन सभी विधायकों को सपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए निष्कासित किया था। ये तीनों विधायक बीते साल हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करने के बाद से ही सपा नेतृत्व के निशाने पर थे।
मनोज पांडेय का पार्टी छोड़ना और भाजपा से करीबी
मनोज पांडेय, जो रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं, ने लोकसभा चुनाव से पहले ही समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद से वह भाजपा के खेमे में आ गए थे। लोकसभा चुनाव से पहले रायबरेली सीट से इस बात के भी संकेत मिल रहे थे कि मनोज पांडेय को भाजपा टिकट दे सकती है, हालांकि बाद में दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली से टिकट मिला। गौरतलब है कि मनोज पांडेय ने दिनेश प्रताप सिंह की सभाओं से दूरी बनाए रखी थी, जिस पर उनकी नाराजगी को भांपकर गृहमंत्री अमित शाह उनसे मिलने उनके घर गए थे। इसके बाद ही वह चुनाव प्रचार के लिए निकले थे।
अखिलेश यादव का तंज
इन तीन विधायकों पर हुई कार्रवाई के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि उन्हें मंत्री बनाने में दिक्कत है। उन्होंने कहा कि ये तीनों सपा के विधानसभा सदस्य हैं और अगर मंत्री बनेंगे तो उन्हें सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ेगा। अखिलेश ने दावा किया था कि इन सभी विधायकों को मंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया था। उन्होंने कहा, “अब भाजपा की जिम्मेदारी है कि निष्कासित विधायकों को मंत्री बनाए। हमने तकनीकी दिक्कत को दूर कर दिया है।” अखिलेश ने यह भी जोड़ा था कि “अगली खेप में हम इसी तरह से कुछ और विधायक उन्हें मंत्री बनाने के लिए दे देंगे।