सावन माह की पवित्र कांवड़ यात्रा में इस वर्ष एक अद्भुत और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिल रहा है। हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ निवासी दो पोते, विशाल और जतिन, अपनी 70 वर्षीय दादी राजबाला को पालकी में बैठाकर हरिद्वार से बहादुरगढ़ तक की कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। इस ‘कलयुग के श्रवण’ की कांवड़ में एक तरफ दादी विराजमान हैं, तो दूसरी तरफ उनके वजन के बराबर गंगाजल रखा है, जिसे देखकर हर कोई इन पोतों के अद्भुत सेवा भाव और संतुलन की तारीफ कर रहा है।

दादी की इच्छा पूरी करने की अनोखी पहल
विशाल और जतिन ने बताया कि उनकी दादी राजबाला ने पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा की इच्छा जाहिर की थी, जिसे पूरा करने के लिए दोनों भाइयों ने पिछले वर्ष भी दादी को यात्रा कराई थी। यह उनकी दूसरी कांवड़ यात्रा है। वे अपनी दादी राजबाला को 21 जून को हरिद्वार लेकर पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने दादी को तीर्थ स्थलों के दर्शन कराए और हर की पौड़ी पर गंगा स्नान कराने के बाद यह अनोखी ‘श्रवण कुमार’ वाली कांवड़ उठाई।

राजबाला बोलीं: “ऐसे पोते सबको दे भगवान”
अपनी दोनों पोतों के साथ इतने लंबे सफर की यात्रा कर रही राजबाला ने कहा, “मुझे गर्व है कि मुझे ऐसे पोते मिले हैं। जब इनकी लोग तारीफ करते हैं तो मेरा मन बहुत खुश होता है। भगवान ऐसे पोते सभी को दे।”

दादी ने ही किया था पालन-पोषण
विशाल ने बताया कि उनके पिता अनिल कुमार अयोध्या में रहते हैं और नौकरी करते हैं। विशाल ने दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद कपड़े का काम शुरू किया और आत्मनिर्भर होने के बाद वह अपनी दादी की हर इच्छा को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने भावुक होकर बताया कि बचपन से उनकी दादी ने ही उनका पालन-पोषण कर उन्हें इस काबिल बनाया है, और अब उनका फर्ज है कि वे उनकी हर इच्छा पूरी करें और उनकी सेवा करें।

कांवड़ियों को दिया संदेश
विशाल ने कांवड़ यात्रा पर निकले अन्य शिव भक्तों को संदेश देते हुए कहा कि सड़क पर सावधानी से चलें, क्योंकि कई बार सड़क हादसे भी हो जाते हैं। उन्होंने कांवड़ यात्रा में किसी भी प्रकार का नशा न करने की भी सलाह दी, यह कहते हुए कि भगवान भोलेनाथ अपने सभी शिव भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

भगवान भोलेनाथ की कृपा
विशाल के छोटे भाई जतिन ने बताया कि दोनों भाई 2024 की सावन माह की कांवड़ यात्रा में भी अपनी दादी के साथ शामिल हुए थे और पूरे उत्साह के साथ यात्रा पूरी की थी। इस बार भी उन पर भगवान महादेव की पूरी कृपा है, और वे अपने संकल्प व दादी मां की इच्छा को पूरा करेंगे। वे 23 जुलाई को महाशिवरात्रि के पर्व पर बहादुरगढ़ पहुंचकर शिवालय में भगवान महादेव का जलाभिषेक करेंगे।