भारत-अमेरिका व्यापार डील: क्या 20% से ज्यादा नहीं लगेगा टैरिफ? पर्दे के पीछे पक रही ‘फिक्स’ डील!

नई दिल्ली/वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगाए जा रहे व्यापार शुल्कों के बीच, एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि अमेरिका भारत के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौते पर काम कर रहा है, जिसके तहत भारतीय उत्पादों पर लगने वाला टैरिफ संभवतः 20 फीसदी से कम रखा जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह कई अन्य एशियाई देशों की तुलना में भारत के लिए एक अनुकूल स्थिति होगी। यह अंतरिम समझौता आने वाले दिनों में दोनों देशों को एक व्यापक और अंतिम व्यापार डील तक पहुंचने में मदद करेगा।


भारत के लिए ‘कम’ टैरिफ की संभावना

जहां ट्रंप प्रशासन ने जापान, कोरिया जैसे लगभग 20 देशों के खिलाफ 25 फीसदी तक के टैरिफ लेटर जारी किए हैं और मेटल्स पर भी शुल्क बढ़ाए हैं, वहीं भारत के खिलाफ अभी तक कोई औपचारिक टैरिफ लेटर जारी नहीं किया गया है। हालांकि, नई दिल्ली से लेकर वॉशिंगटन तक यह चर्चा गर्म है कि भारत से आने वाले सामान पर 20 फीसदी का टैरिफ लगाया जा सकता है। सूत्रों का दावा है कि दोनों देशों के बीच यह डील लगभग ‘फिक्स’ हो गई है, हालांकि अभी तक अमेरिकी और भारतीय सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

मामले से जुड़े लोगों के अनुसार, अमेरिका भारत के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौते पर काम कर रहा है, जिससे प्रस्तावित टैरिफ को 20 फीसदी तक सीमित किया जा सकता है। यह कदम भारत को दक्षिण एशियाई देशों के मुकाबले एक बेहतर स्थिति में ला देगा। उम्मीद है कि इस सप्ताह भारत को अन्य देशों की तरह टैरिफ डिमांड लेटर नहीं मिलेगा, बल्कि व्यापार व्यवस्था की घोषणा एक बयान के माध्यम से की जाएगी। सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह अंतरिम समझौता भविष्य की वार्ताओं को काफी आसान बनाएगा और नई दिल्ली को एक व्यापक समझौते से पहले लंबित मुद्दों को सुलझाने का अवसर मिलेगा।


डेडलाइन नहीं, पर ट्रंप के तेवर कड़े

सूत्रों ने यह भी बताया कि इस बयान में बेसलाइन टैरिफ को 26 फीसदी की तुलना में 20 फीसदी तक निर्धारित किया जा सकता है। प्रस्ताव की भाषा ऐसी होगी जो दोनों पक्षों को अंतिम समझौते के हिस्से के रूप में दर पर बातचीत जारी रखने की अनुमति देगी। इस अंतरिम समझौते के लिए कोई स्पष्ट समय-सीमा तय नहीं की गई है। यदि इसे अंतिम रूप दिया जाता है, तो भारत उन चुनिंदा व्यापारिक साझेदारों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने ट्रंप प्रशासन के साथ समझौते किए हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह दर्जनों व्यापारिक साझेदारों को हैरान करते हुए 1 अगस्त की समय सीमा से पहले ही कुछ मामलों में 50 फीसदी तक की टैरिफ दरों की घोषणा कर दी है।


वियतनाम से बेहतर डील पर भारत की नज़र

भारत का वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, व्हाइट हाउस और वाणिज्य विभाग ने इस मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। नई दिल्ली, वियतनाम के साथ ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित समझौते से भी ज़्यादा अनुकूल शर्तों पर समझौता करने की कोशिश कर रही है, जिसमें 20 फीसदी आयात शुल्क शामिल है। हालांकि, वियतनाम भी इस दर से अचंभित था और अभी भी इसे कम करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप ने अब तक केवल ब्रिटेन के साथ एक और व्यापार समझौते की घोषणा की है।

गुरुवार को ट्रंप ने एनबीसी न्यूज़ को बताया कि वह उन ज्यादातर व्यापारिक साझेदारों पर 15 फीसदी से 20 फीसदी तक के व्यापक शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें अभी तक उनकी दरों के बारे में सूचित नहीं किया गया है। वर्तमान में, लगभग सभी अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के लिए वैश्विक आधारभूत न्यूनतम शुल्क 10 फीसदी है। एशियाई देशों के लिए अब तक घोषित शुल्क दरें वियतनाम और फिलीपींस के लिए 20 फीसदी से लेकर लाओस और म्यांमार के लिए 40 फीसदी तक हैं।


तनाव के संकेत और अड़े मुद्दे

भारत इस साल व्यापार वार्ता के लिए व्हाइट हाउस से संपर्क करने वाले शुरुआती देशों में से एक था, लेकिन हाल के हफ़्तों में कुछ तनाव के संकेत भी दिखाई दिए हैं। हालांकि ट्रंप ने इस हफ़्ते की शुरुआत में कहा था कि भारत के साथ एक समझौता होने वाला है, उन्होंने ब्रिक्स समूह में भारत की भागीदारी पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की भी धमकी दी है। वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय वार्ताकारों का एक दल जल्द ही वाशिंगटन आने वाला है।

ब्लूमबर्ग न्यूज़ ने पहले बताया था कि भारत ने ट्रंप प्रशासन के सामने अपनी सर्वश्रेष्ठ पेशकश पहले ही रख दी है और स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी समझौते को अंतिम रूप देने में कोई सीमा नहीं लांघेगा। दोनों पक्ष कुछ प्रमुख मुद्दों पर अड़े हुए हैं, जिनमें वाशिंगटन की यह मांग भी शामिल है कि भारत आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के लिए अपना बाज़ार खोले। यह एक ऐसा अनुरोध है जिसे नई दिल्ली ने अपने किसानों के लिए जोखिम का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के बीच कृषि में नॉन-टैरिफ बाधाओं और दवा उद्योग में नियामक प्रक्रियाओं सहित विवादास्पद मुद्दों पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

क्या भारत और अमेरिका के बीच यह अंतरिम डील अंतिम समझौते का मार्ग प्रशस्त करेगी, या अभी भी कुछ बाधाएं बची हैं? आने वाले दिन इस व्यापारिक गाथा के अगले अध्याय का खुलासा करेंगे।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *