Varanasi News : काशी में बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर हुई विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में उपभोक्ताओं ने बिजली निगम की पोल खोल दी। आम जनता से लेकर बड़े-बड़े उद्यमी और बुनकर भी अपनी समस्याओं के साथ सामने आए, और सभी ने एक सुर में बिजली दरें न बढ़ाने की मांग की।
जनसुनवाई के दौरान, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों ने पिछले तीन सालों (2023-24, 2024-25 और 2025-26) के आँकड़े पेश करते हुए अपनी आर्थिक हानि बताई। उनका तर्क था कि बिजली की दरें बढ़ने से उनका आर्थिक संकट कुछ हद तक कम हो जाएगा।
सरकारी विभागों पर करोड़ों का बकाया, फिर भी घाटे का रोना!
लेकिन राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने निगम के दावों की हवा निकाल दी। उन्होंने बताया कि सरकारी विभागों पर ही पिछले तीन साल में 4489 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है, जिसे सरकार दे ही नहीं रही है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को अतिरिक्त सब्सिडी के मद में 8115 करोड़ रुपये देने हैं। अवधेश वर्मा ने साफ कहा कि इन आंकड़ों को देखने के बाद निगम कहीं से भी घाटे में नहीं है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि बिजली दर में 45 प्रतिशत बढ़ोतरी की जगह 45 प्रतिशत की कमी करनी चाहिए, क्योंकि पूरे प्रदेश में बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का ही 33122 करोड़ रुपये बकाया है!
जनसुनवाई में उपस्थित उपभोक्ताओं ने बिजली निगम के अधिकारियों के फोन न उठाने, स्मार्ट मीटर के तेज़ी से चलने और मीटर संबंधी अन्य गड़बड़ियों की शिकायतें गिनाईं। आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने भी इस बात को माना कि अगर अधिकारी उपभोक्ताओं के फोन उठाते तो इतनी ज़्यादा समस्याएँ आती ही नहीं।
उद्यमी और बुनकर भी परेशान, निजीकरण का विरोध
रामनगर के जगदीश झुनझुनवाला जैसे उद्यमियों ने बताया कि बिजली निगम की लापरवाही के कारण उन्हें अपनी इकाइयाँ बंद करके गुजरात में नई यूनिट स्थापित करने की तैयारी करनी पड़ रही है। बुनकरों ने भी अपनी आपबीती सुनाई कि अप्रैल 2006 से पावरलूम को फिक्स रेट पर बिजली देने का निर्णय होने के बावजूद उनसे लगातार बिजली का बिल लिया जा रहा है।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के बैनर तले उद्यमियों ने भी अपनी समस्याएँ रखीं। आरके चौधरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक इकाइयाँ पहले से ही अन्य प्रदेशों की तुलना में ज़्यादा बिजली दरें दे रही हैं। उन्होंने बिजली दरों में बढ़ोतरी की जगह लाइन लॉस कम करने की सलाह दी और फिक्स्ड चार्ज को पूरी तरह से हटाने की मांग की।
आयोग के अध्यक्ष ने भी माना, निगम का प्रदर्शन खराब
सभी पक्षों की बातें सुनने के बाद, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने खुद यह स्वीकार किया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का प्रदर्शन बहुत खराब है। उन्होंने विशेष रूप से टेक्निकल लॉस पर नाराज़गी जताई और कहा कि ट्रांसफार्मर का जलना और तारों का खराब होना चिंताजनक है, जो अधिकारियों की खराब निगरानी को दर्शाता है।
इस जनसुनवाई से यह साफ हो गया कि जहाँ बिजली निगम अपनी दरें बढ़ाना चाहता है, वहीं उपभोक्ता और विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पहले निगम अपनी आंतरिक गड़बड़ियाँ सुधारे और सरकारी बकाया वसूल करे। निजीकरण का भी ज़ोरदार विरोध किया गया।