BHU: ‘MS के हटने तक जारी रहेगा विरोध प्रोफेसर ओमशंकर ने कुलपति को भेजी शिकायत जानें पूरे सवाल और सुझाव

IMS BHU: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल में कथित अव्यवस्थाओं को लेकर एक बार फिर सवाल उठ गए हैं। हृदय रोग विभाग के जाने-माने प्रोफेसर ओमशंकर ने अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (एमएस) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कुलपति को एक विस्तृत शिकायती पत्र भेजा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि जब तक एमएस को हटाया नहीं जाता, उनका विरोध जारी रहेगा।


एमएस पर लगाए गए गंभीर आरोप

प्रोफेसर ओमशंकर ने शुक्रवार को एमएस पर कई गंभीर आरोप लगाए, जिनमें शामिल हैं:

  • हृदय रोग के मरीजों को बेड न मिलना: मरीजों को उचित बेड नहीं मिल पा रहा, जिससे उनकी परेशानी बढ़ रही है।
  • एमआरआई सेवा के टेंडर में गड़बड़ी: शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में एमआरआई संचालन के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई गईं, जिसे जांच कमेटी ने रद्द करने का भी फैसला किया था।
  • कोरोना काल में नियमों की अनदेखी: कोविड महामारी के दौरान पीपीई किट्स, मास्क और दवाओं की खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई, जिसकी पुष्टि कैग (CAG) की रिपोर्ट में भी हो चुकी है।
  • कोविड राहत फंड के उपयोग में पारदर्शिता की कमी: महामारी के दौरान प्राप्त राहत फंड के इस्तेमाल में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
  • सीसीआई लैब का निजीकरण: बीएचयू अस्पताल में सीसीआई लैब का निजीकरण कर दिया गया, जबकि इसे पहले की तरह बीएचयू द्वारा ही चलाया जाना चाहिए।
  • एनएमसी के निर्देशों का उल्लंघन: ऑपरेशन थिएटर में मरीजों को भर्ती करवाया गया, जो राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन (NMC) के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है।
  • कायाकल्प योजना में नियमों का पालन नहीं: कायाकल्प योजना के तहत करवाए गए कार्यों में भी नियमों का अनदेखी की गई।

प्रोफेसर ओमशंकर का आरोप है कि विश्वविद्यालय स्तर की जांच कमेटियों ने इनमें से अधिकांश मामलों में एमएस को दोषी पाया है, लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जो अन्यायपूर्ण है। उन्होंने 9 जुलाई, 2025 को ही कुलपति को इस संबंध में पत्र लिखकर एमएस को हटाने की मांग की है। उन्होंने बीएचयू के छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य चिकित्सकों से भी इस अव्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाने का आह्वान किया है।


प्रोफेसर ओमशंकर के प्रमुख सवाल और सुझाव

प्रोफेसर ओमशंकर ने अपनी शिकायत में कुछ तीखे सवाल उठाए हैं और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं:

  • कैग रिपोर्ट पर कार्रवाई: कोरोना महामारी के दौरान पीपीई किट्स, मास्क और दवाओं की खरीद में हुई गड़बड़ी पर कैग की रिपोर्ट के आधार पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
  • सीसीएल लैब का निजीकरण: सीसीएल लैब को फिर से बीएचयू द्वारा ही क्यों नहीं चलाया जा रहा है?
  • एमएस को हटाना: उन्होंने मांग की है कि एमएस को तुरंत उनके पद से हटाया जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
  • टेंडर प्रक्रियाओं की जांच: पिछले चार साल में करवाए गए सभी टेंडर प्रक्रियाओं की गहन जांच होनी चाहिए, जिससे सच्चाई सामने आ सके।

प्रोफेसर ओमशंकर का कहना है कि जब तक एमएस को उनके पद से नहीं हटाया जाता, तब तक उनका यह विरोध जारी रहेगा

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