BHU Hospital Varanasi : जम्मू निवासी एक शोध छात्रा की बीएचयू अस्पताल में हुई दुखद मौत के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है। छात्रा के इलाज में कथित लापरवाही का आरोप लगाते हुए, उसकी सहपाठी छात्राओं का गुस्सा आधी रात के बाद फूट पड़ा। उन्होंने इमरजेंसी विभाग पहुँचकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया और अस्पताल की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाए, साथ ही इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग भी की।
आधी रात को अस्पताल में हंगामा
शनिवार-रविवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे छात्राओं ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ ज़ोरदार नारेबाजी की। छात्राओं का कहना था कि जब विश्वविद्यालय के ही छात्र-छात्राओं के साथ इलाज में ऐसी लापरवाही हो रही है, तो आम मरीजों के साथ क्या होता होगा। उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।
छात्राओं ने आरोप लगाया कि बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के इमरजेंसी विभाग की चिकित्सा व्यवस्था ही ‘बीमार’ है। उनका कहना था कि इमरजेंसी में बैठे डॉक्टरों ने बिना मरीज की मेडिकल रिपोर्ट समझे, छात्रा को दो दिन तक सिर्फ ORS और पैरासिटामोल के सहारे इलाज किया।
इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप
छात्राओं ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि छात्रा को हरी उल्टी होने के बावजूद, उसे सामान्य तौर पर भी मेडिसिन वार्ड में रेफर करने के बजाय ORS देकर हॉस्टल वापस भेज दिया गया। जब उसकी तबीयत ज़्यादा बिगड़ी, तब जाकर उसे किसी तरह मेडिसिन के डॉक्टर के पास भेजा गया। छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टरों का रवैया मरीजों के प्रति बेहद खराब रहता है और हेल्थ सेंटर में केवल जेनेरिक दवाइयां दी जा रही हैं।
छात्राओं ने चेतावनी दी है कि यदि छात्रा के इलाज में हुई लापरवाही की जांच नहीं हुई, तो वे छात्र समुदाय लोकतांत्रिक रूप से एक मुकम्मल लड़ाई लड़ने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी बीएचयू प्रशासन की होगी।
छात्राओं ने रखी ये प्रमुख मांगें:
प्रदर्शनकारी छात्राओं ने अस्पताल प्रशासन और बीएचयू प्रबंधन से कई अहम सवाल पूछे और मांगें रखीं:
- इमरजेंसी के इंचार्ज यह बताएं कि आखिरी दो दिनों के इलाज में छात्रा की मेडिकल हिस्ट्री क्यों नहीं पता की गई?
- हरी उल्टी होने के बावजूद उसे मेडिसिन वार्ड में रेफर करने के बजाय, ORS जैसे साधारण ट्रीटमेंट के साथ हॉस्टल वापस कैसे भेज दिया गया?
- मृतक छात्रा के परिजनों को उसके हॉस्टल की अन्य छात्राओं से मिलने देने में क्या परेशानी है? उन्हें अविलंब मिलवाया जाए।
- विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए प्राथमिकता के तौर पर CCU/ICU (क्रिटिकल केयर यूनिट / इंटेंसिव केयर यूनिट) मुहैया कराने का प्रावधान क्यों सुनिश्चित नहीं हो रहा है?
- डॉक्टरों का स्वभाव इलाज करने की बजाय छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करने और बिना मेडिकल हिस्ट्री के सामान्य दवा लिखकर टालने का काम क्यों किया जाता है?
इस मामले ने बीएचयू अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं और छात्र कल्याण पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारी इस गंभीर मामले पर क्या कदम उठाते हैं।