दिल्ली सरकार का नया आदेश: DM-SDM को बैठक में बुलाने से पहले मंत्री को मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एक नए आदेश के तहत, अब मंत्री और विधायक सीधे जिलाधिकारियों (DM), अपर जिलाधिकारियों (ADM), और उपजिलाधिकारियों (SDM) को किसी बैठक में नहीं बुला पाएंगे। इन अधिकारियों को किसी भी बैठक में शामिल कराने के लिए संबंधित मंत्री या विधायक को पहले मुख्य सचिव से कम से कम 48 घंटे पहले लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा।


आदेश का उद्देश्य और नए दिशा-निर्देश

राजस्व मंत्री की मंजूरी के बाद राजस्व विभाग के सचिव द्वारा जारी किए गए इस आदेश ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अधिकारियों को अनावश्यक और बार-बार बैठकों में बुलाने की प्रवृत्ति न केवल उनके मुख्य कार्यों में बाधा डाल रही है, बल्कि इससे शासन व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

नए दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

  • कोई भी मंत्री या विधायक अब DM, ADM या SDM जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को सीधे बैठक के लिए आमंत्रित नहीं कर सकेगा।
  • ऐसी किसी भी बैठक के लिए पहले मुख्य सचिव से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
  • यह अनुमति बैठक से कम से कम 48 घंटे पहले लेनी होगी और बैठक का उद्देश्य स्पष्ट और आवश्यक होना चाहिए।
  • मुख्य सचिव केवल उन्हीं बैठकों की अनुमति देंगे, जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक मानी जाएंगी।

आदेश में यह भी कहा गया है कि हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि अधिकारियों को कई बार बिना ठोस एजेंडा के सिर्फ प्रोटोकॉल या राजनीतिक चर्चा के लिए बुलाया जाता है, जिससे उनके जमीनी प्रशासनिक कार्य प्रभावित होते हैं।


सरकार के आदेश की वजह

राजस्व विभाग द्वारा जारी इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इसका उद्देश्य अधिकारियों के समय का बेहतर प्रबंधन करना और उनकी दक्षता सुनिश्चित करना है। आदेश के अनुसार, बार-बार बैठकों में बुलाए जाने से अधिकारियों के प्रमुख कार्यों जैसे आपदा प्रबंधन, जन सेवाएँ, कानून-व्यवस्था और ज़मीन से जुड़े प्रशासनिक कार्यों में देरी हो रही है।

इसके अलावा, कई बार अधिकारियों को बिना एजेंडा या अस्पष्ट विषयों पर चर्चा के लिए बुलाया जाता है, जिससे उनकी कार्य योजनाएँ बाधित होती हैं और जनता से जुड़ी सेवाएँ प्रभावित होती हैं। इसीलिए सरकार का मानना है कि बैठकें सिर्फ तभी बुलाई जाएँ जब उनका उद्देश्य स्पष्ट, आवश्यक और प्रशासनिक रूप से उचित हो।


आदेश से मची हलचल

हालांकि आदेश के पीछे प्रशासनिक सुधार का उद्देश्य बताया गया है, लेकिन यह फैसला राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जा रहा है। कुछ विधायक इसे अपने अधिकारों में कटौती के तौर पर देख सकते हैं, जबकि अधिकारी वर्ग ने इस कदम का स्वागत किया है।

विधायकों के एक वर्ग ने अनौपचारिक रूप से नाराजगी जताते हुए कहा है कि इस आदेश से जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच संवाद की प्रक्रिया कमजोर हो सकती है। वहीं, कुछ अन्य नेताओं ने कहा कि इस निर्णय से अधिकारियों को जन मुद्दों से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।


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