Guru Purnima 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाने वाली गुरु पूर्णिमा आज काशी में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, जिसके कारण इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। काशी में आज भी प्राचीन आश्रमों, गुरुकुलों और मठों में गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वाह उत्साहपूर्वक किया गया।

सतुआ बाबा आश्रम में भक्तों की भीड़
गंगा किनारे मणिकर्णिका घाट पर स्थित प्रसिद्ध सतुआ बाबा आश्रम में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। भोर से ही श्रद्धालु महामंडलेश्वर संतोष दास की पूजा और आशीर्वाद लेने के लिए कतार में लगे रहे। भक्तों ने अपने गुरु को तुलसी माला पहनाई, फल और मीठा का भोग लगाया, आरती उतारी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। महामंडलेश्वर संतोष दास ने इस अवसर पर कहा कि जीवन के हर पड़ाव पर गुरु को शिष्य की और शिष्य को गुरु की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि कला, संस्कृति या किसी भी विषय में गुरु और शिष्य का जीवन एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है, और हर भक्त को जीवन में गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है।

पातालपुरी मठ में धार्मिक सद्भाव का संदेश
वहीं, पातालपुरी मठ में महंत बालक दास ने गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु के द्वारा ही जीवन जीने का सही मार्ग मिलता है। उन्होंने कहा कि जिसे शांति चाहिए, उसे सनातन धर्म में आना होगा, क्योंकि सनातन धर्म ही जीवन में शांति, भाईचारा और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने का मार्ग सिखा सकता है।

इस अवसर पर धार्मिक सद्भाव की एक अनूठी मिसाल भी देखने को मिली, जब मुस्लिम समुदाय के 151 लोगों ने महंत बालक दास से गुरु दीक्षा ली। उन्होंने पूजा-आरती में भाग लिया और भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया, जो काशी की गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शाता है।