जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में पहली बार एक मोहल्ले का नाम “संस्कृत मोहल्ला” रखा गया है, जो इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल है। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट की इस अनूठी पहल का उद्देश्य संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करना और युवा पीढ़ी को अपनी समृद्ध संस्कृति से जोड़ना है।
‘सुभाषनगरप्रसारणम् प्रथमम्’ – एक नई पहचान
जम्मू के सुभाष नगर एक्सटेंशन वन का नाम अब संस्कृत में “सुभाषनगरप्रसारणम् प्रथमम्” रखा गया है। यह जम्मू-कश्मीर का पहला ऐसा मोहल्ला है, जहाँ न सिर्फ मोहल्ले का नाम संस्कृत भाषा में रखा गया है, बल्कि हर घर की नेमप्लेट भी संस्कृत में लगाई गई है।
यह पहल उस समय में आई है जब जम्मू-कश्मीर में कभी मुगलों के नाम पर इलाकों के नाम रखे जाते थे, जो अब समय के बदलाव को दर्शाता है।
संस्कृति और भाषा का पुनर्जागरण
इस पहल का मुख्य उद्देश्य सिर्फ संस्कृत भाषा को फिर से जीवित करना नहीं है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी प्राचीन विरासत और संस्कृति से जोड़ना भी है। इस मोहल्ले में बच्चों को रोज़ाना छोटे रूप में संस्कृत की शिक्षा दी जा रही है। स्थानीय लोगों ने इस कदम की जमकर सराहना की है और कहा है कि इससे संस्कृत भाषा को बढ़ावा मिलेगा। उनका मानना है कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है।
ट्रस्ट का उद्देश्य और भविष्य की योजनाएँ
श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि उनका उद्देश्य बच्चों को संस्कृत से जोड़ना और इस भाषा को जन-जन तक पहुँचाना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह मोहल्ला आने वाले समय में संस्कृत पुनर्जागरण का केंद्र बनेगा। महंत शास्त्री ने कहा कि “संस्कृत मोहल्ला अब जम्मू की एक नई पहचान बन चुका है, जो देश भर में सांस्कृतिक जागरूकता और भाषा संरक्षण की मिसाल बनेगा।”
यह पहल निश्चित रूप से संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सांस्कृतिक जड़ों को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस तरह की पहल पर आपके क्या विचार हैं?