शिलांग, मेघालय: मेघालय के शिलांग में बसा मावलिननॉन्ग गांव सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि स्वच्छता और सामुदायिक भागीदारी का एक अद्भुत उदाहरण है। यह गांव पिछले 22 सालों से लगातार भारत का सबसे स्वच्छ गांव बना हुआ है, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यहाँ कोई पेशेवर सफाईकर्मी नहीं है!
स्वच्छता का राज़: लोककथाएं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी की परंपरा
मावलिननॉन्ग की बेमिसाल सफाई का रहस्य गांव के बुजुर्गों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाली कहानियों और लोककथाओं में छिपा है। बुजुर्ग इन कहानियों के ज़रिए बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का महत्व सिखाते हैं। यह परंपरा यहाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है, जिसने गांव की संस्कृति और स्वच्छता दोनों को जीवंत रखा है।
2003 में ‘डिस्कवर इंडिया’ पत्रिका ने पहली बार इस गांव को देश का सबसे स्वच्छ गांव घोषित किया था, और 2005 में इसे यह दर्जा फिर से मिला। तब से यह गांव लगातार टॉप पर है।
बुजुर्गों का अनूठा तरीका: कहानियों से संस्कारों का संचार
गांव के बुजुर्ग बच्चों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें आसपास के इलाकों में घुमाने ले जाते हैं। इस दौरान वे उन्हें सिर्फ कहानियाँ, लोक कथाएँ और कविताएँ ही नहीं सुनाते, बल्कि अपनी संस्कृति, भाषा, साहित्य और परंपराओं से भी रूबरू कराते हैं। यह तरीका बच्चों के दिलों-दिमाग पर गहरा असर डालता है और उन्हें साफ-सफाई के प्रति आजीवन जागरूक रखता है।
ग्रामीण बताते हैं कि इन कहानियों के ज़रिए बच्चों को पर्यावरण का सम्मान करना और उसकी जिम्मेदारी लेना सिखाया जाता है। उनके रीति-रिवाज सीधे जंगल, नदी और पहाड़ से जुड़े हुए हैं, जो उन्हें प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
हर शनिवार को होता है सामूहिक सफाई अभियान
मावलिननॉन्ग में हर शनिवार को सामूहिक सफाई अभियान चलाया जाता है। बच्चे भी हर शनिवार को स्कूल जाने से पहले इस सामूहिक सफाई में हिस्सा लेते हैं। इस दौरान उन्हें बताया जाता है कि सफाई क्यों ज़रूरी है और कैसे उनके बुजुर्ग सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। यह सब लोककथाओं और आपसी जुड़ाव के माध्यम से ही संभव होता है।
बदलती पहचान: अब संस्कृति भी देखने आते हैं पर्यटक
इस गांव की आबादी 516 है, और 2003 से अब तक यहाँ 7 परिवारों की संख्या बढ़ी है। पहले जहाँ गांव में सिर्फ होमस्टे थे, वहीं अब 27 होमस्टे हैं, जो बांस और लकड़ी के बने होते हैं। पूरे गांव में बांस से बने कूड़ेदान लगाए गए हैं, जो स्वच्छता के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं।
पहले पर्यटक सिर्फ गांव की सफाई देखने आते थे, लेकिन अब वे यहाँ की अनूठी संस्कृति और इस परंपरा को समझने भी आते हैं, जिसने मावलिननॉन्ग को एक आदर्श गांव बना दिया है।