नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रही मलयाली नर्स निमिषा प्रिया के मामले में आज एक नई याचिका पर सुनवाई की। सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल द्वारा दायर इस याचिका में निमिषा को क्षमादान दिलाने और पीड़ित परिवार से बातचीत के लिए एक राजनयिक मध्यस्थता टीम नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में केंद्र सरकार के सामने अपना प्रस्तुतिकरण देने का निर्देश दिया है।
क्या है निमिषा प्रिया का मामला?
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिज़नेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई थी। यमन के उच्च न्यायालयों ने कई अपीलों के बाद भी निमिषा की सज़ा को बरकरार रखा है। अब उनकी जान बचाने का एकमात्र तरीका ‘ब्लड मनी’ समझौता है। यमन के शरिया कानून के तहत यदि मेहदी के परिवार से ‘ब्लड मनी’ के ज़रिए माफ़ी मिल जाती है, तो उनकी सज़ा माफ हो सकती है।
सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल के कोर कमेटी सदस्य दिनेश नायर ने इस मानवीय प्रयास में सभी से एकजुट होने की अपील की है, ताकि निमिषा की नन्ही बेटी और बुजुर्ग माँ की मुश्किल हालात को देखते हुए उनकी जान बचाई जा सके।
प्रस्तावित राजनयिक मध्यस्थता टीम
विश्व मलयाली परिषद के वैश्विक महासचिव दिनेश नायर ने बताया कि सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने मेहदी के परिवार के साथ बातचीत को आसान बनाने के उद्देश्य से छह-सदस्यीय राजनयिक मध्यस्थता दल का प्रस्ताव रखा है। इस दल में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे:
- कार्य परिषद के दो प्रतिनिधि:
- एडवोकेट सुभाष चंद्रन के.आर. (सर्वोच्च न्यायालय के वकील और परिषद के कानूनी सलाहकार)
- कुंजम्मद कूराचुंड (परिषद के कोषाध्यक्ष)
- मरकज के दो प्रतिनिधि:
- एडवोकेट (डॉ.) हुसैन सखाफ़ी (अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मुस्लिम विद्वान)
- हामिद (यमन से जुड़े एक व्यक्ति)
- केंद्र सरकार द्वारा नामित दो अधिकारी: ये अधिकारी वार्ता में सहयोग के लिए सरकार की ओर से नियुक्त किए जाएंगे।
दिनेश नायर ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट एक सकारात्मक निर्णय देगा, जिससे पीड़ित परिवार से बातचीत करने और निमिषा प्रिया के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में राजनयिक टीम नियुक्त करने का रास्ता खुलेगा।