UP News: पटरी व्यवसायियों पर अत्याचार: वाराणसी में उठी आवाज़, प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल

वाराणसी, उत्तर प्रदेश: वाराणसी शहर में रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों पर लगातार हो रहे प्रशासनिक अत्याचारों को लेकर विरोध के स्वर तेज़ होते जा रहे हैं। एक तरफ जहाँ ये गरीब व्यवसायी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम और स्थानीय पुलिस प्रशासन लगातार उन्हें उजाड़ रहा है।

यह गौरतलब है कि भारत सरकार ने पथ विक्रेता (जीवनयापन और विनियमन) अधिनियम 2014 के तहत पटरी व्यवसायियों को संरक्षित और नियोजित करने की नीति बनाई थी। इसके बावजूद, स्थानीय स्तर पर इस कानून को दरकिनार कर पटरी व्यवसायियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि सामाजिक रूप से भी अन्यायपूर्ण है।


कैंट स्टेशन ओवरब्रिज घोटाला: गरीब व्यवसायी बने शिकार

हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित योजना के तहत ओवरब्रिजों के नीचे 100% पटरी व्यवसायियों को बसाने की योजना थी। लेकिन वाराणसी नगर निगम ने इस काम को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक निजी एजेंसी को सौंप दिया। इस एजेंसी ने बड़े व्यापारियों को दुकानें आवंटित कर दीं, जिनमें अवैध गतिविधियों की भरमार देखी गई। इससे न केवल काशी की सांस्कृतिक छवि को ठेस पहुँची, बल्कि नगर निगम को भी भारी राजस्व का नुकसान हुआ। अंततः पूरे क्षेत्र को प्रशासन को खाली कराना पड़ा, जिसकी चपेट में गरीब और ईमानदार पटरी व्यवसायी भी आ गए।


पूंजीपतियों का दबाव और हजारों परिवारों पर संकट

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पूरे शहर में नगर निगम और प्रशासन बड़े पूंजीपतियों के दबाव में काम कर रहा है, और किसी भी क्षेत्र में पटरी व्यवसायियों को टिकने नहीं दिया जा रहा है। इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई से हजारों परिवारों की आजीविका संकट में आ गई है, और शहर की आवश्यक सेवाओं का भी नुकसान हो रहा है।


सामाजिक संतुलन में पटरी व्यवसायियों की अहम भूमिका

पटरी व्यवसायी न सिर्फ़ अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, बल्कि शहर के गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को दैनिक ज़रूरत की वस्तुएं सुलभ मूल्य पर उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में, इनकी आजीविका छीनना शहर के सामाजिक ढांचे के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है।


शासन-प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि प्रशासन द्वारा की जा रही इन क्रूर और अन्यायपूर्ण कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने अपील की है कि रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों को उनके हक और सम्मान के साथ व्यवसाय करने की आज़ादी दी जाए।

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