राफेल: भारत को मिलेंगे 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमान; पाकिस्तान से तनाव के बीच फ्रांस से 63000 करोड़ की डील
भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों के लिए 63,000 करोड़ रुपये की डील की। यह सौदा पाकिस्तान और चीन से बढ़ते खतरे के बीच भारत की सुरक्षा को मजबूत करेगा। जानें इस मेगा डील की पूरी जानकारी।

भारत ने अपनी समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों के लिए 63,000 करोड़ रुपये की मेगा डील की है। इस सौदे पर भारत और फ्रांस ने दिल्ली में हस्ताक्षर किए, जो भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह सौदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) द्वारा तीन सप्ताह पहले मंजूरी दिए जाने के बाद पूरा हुआ है।
पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच सौदे की अहमियत
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, यह सौदा भारत की सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा है। 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना को पाकिस्तान और चीन के बढ़ते खतरे के खिलाफ मजबूती प्रदान करेंगे। राफेल विमानों के माध्यम से भारतीय नौसेना अपनी सामरिक क्षमता को अगले स्तर पर ले जाएगी, खासकर जब भारत के पास विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत है, जो इस सौदे के तहत राफेल मरीन जेट विमानों की तैनाती के लिए तैयार होगा।
राफेल मरीन विमानों की विशेषताएं
राफेल मरीन विमान एक अत्याधुनिक तकनीकी क्षमता से लैस है, जिसे विशेष रूप से विमानवाहक युद्धपोत के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह विमान अपने दुश्मन के रडार को चकमा देने की क्षमता रखता है और यह हिमालय जैसी सर्दी में भी उड़ने में सक्षम है। राफेल मरीन का वजन लगभग 10,300 किलोग्राम है, जो इसे राफेल से थोड़ा भारी बनाता है। यह एक मिनट में 18,000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और इसकी रेंज 3,700 किलोमीटर तक है।
भारत और फ्रांस के बीच सहयोग की नई ऊंचाई
यह सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ावा देगा। भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल के स्वामीनाथन ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ हस्ताक्षर समारोह में भाग लिया। हालांकि, फ्रांस के रक्षा मंत्री को व्यक्तिगत कारणों के चलते समारोह में शामिल नहीं हो सके, फिर भी भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे एक ऐतिहासिक डील करार दिया।
मिग-29 को बदलने की तैयारी
भारत ने अपने मिग-29 के खराब प्रदर्शन और रखरखाव संबंधी समस्याओं के कारण इन विमानों के मौजूदा बेड़े को हटाने की योजना बनाई है। 9 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा कैबिनेट समिति ने इस रक्षा सौदे को मंजूरी दी थी, जिसमें 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल मरीन विमान शामिल हैं। इसके अलावा, इस सौदे में कर्मियों के प्रशिक्षण, स्वदेशी घटक निर्माण और बेड़े के रखरखाव के लिए एक व्यापक पैकेज भी शामिल है।
राफेल मरीन का सामरिक महत्व
राफेल मरीन जेट पाकिस्तान के पास मौजूद ए-16 और चीन के पास मौजूद जे-20 विमानों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली हैं। यह लड़ाकू विमान दुश्मन की रडार प्रणाली को धोखा देने में माहिर है और यह अपने अभियान स्थल से 3,700 किलोमीटर तक प्रभावी हमला कर सकता है। यह विमान भारतीय नौसेना की ताकत में महत्वपूर्ण इजाफा करेगा, खासकर आईएनएस विक्रांत पर तैनात होने के बाद। राफेल मरीन विमान भारतीय नौसेना के भविष्य के संचालन के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।
राफेल के जरिए सुरक्षा की नई ऊंचाई
इस सौदे से भारत को सिर्फ एक आधुनिक लड़ाकू विमान बेड़ा नहीं मिलेगा, बल्कि यह उसके रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम भी साबित होगा। साथ ही, भारतीय वायु सेना पहले से ही राफेल के 36 विमानों के बेड़े का संचालन कर रही है, जो अंबाला और हासीमारा स्थित हैं। इस नए सौदे के साथ भारत के पास अब कुल 62 राफेल विमान होंगे, जो 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बेड़े में एक महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
भारत ने फ्रांस के साथ यह राफेल मरीन जेट विमान खरीदने का सौदा पाकिस्तान और चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनज़र किया है। यह सौदा भारतीय सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय नौसेना की ताकत को और भी बढ़ाएगा। राफेल मरीन विमान न केवल भारत की सैन्य ताकत में इजाफा करेंगे, बल्कि यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को भी नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
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