बिहार में कानून-व्यवस्था पर सरकार का कड़ा रुख: लाइसेंस रद्द होंगे, कारतूस की बिक्री घटेगी
बिहार सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कानून-व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए बड़े फैसले लिए हैं। अब आपराधिक रिकॉर्ड वाले या हर्ष फायरिंग में शामिल लोगों के हथियारों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे और कारतूस की बिक्री को भी 200 से घटाकर 50 राउंड प्रति वर्ष किया जाएगा।

आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बिहार में कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की कवायद तेज़ कर दी गई है। सरकार ने कारतूस की ब्लैक मार्केटिंग पर नकेल कसने और हथियारों के बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाने की रणनीति तैयार की है। इसके तहत, जिन लाइसेंस धारकों का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है या वे किसी संदिग्ध गतिविधि में शामिल रहे हैं, उनके हथियारों के लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई शुरू होने जा रही है।
हर्ष फायरिंग और सोशल मीडिया पर वर्चस्व दिखाने वालों पर भी शिकंजा
इस कार्रवाई में वे लोग भी शामिल होंगे जो हर्ष फायरिंग के मामलों में शामिल रहे हैं, या फिर सोशल मीडिया पर अवैधानिक प्रदर्शन कर सार्वजनिक स्थानों पर अपना वर्चस्व या भय कायम करने के आरोपी हैं। पुलिस मुख्यालय ने इन सभी की पहचान कर कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है।
आयुध नियम, 2016 में संशोधन: अब मिलेगी कम गोलियां
बिहार पुलिस विभाग ने अपराधियों और असामाजिक तत्वों तक पहुँचने वाली अवैध गोलियों की सप्लाई चेन को पूरी तरह ध्वस्त करने की कार्ययोजना तैयार की है। अब प्रत्येक लाइसेंस धारकों को हर साल अधिकतम 200 के स्थान पर केवल 50 राउंड गोली ही मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए आयुध नियम, 2016 में संशोधन किया गया है। पुलिस के मुखिया डीजीपी विनय कुमार के दिशा-निर्देश पर एडीजी (एसटीएफ) कुंदन कृष्ण की तरफ से इससे संबंधित प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा गया है। जल्द ही सरकार अंतिम रूप से आदेश जारी करने वाली है।
लाइसेंसों की जानकारी पोर्टल पर अनिवार्य, 'यूपी मॉडल' होगा लागू
नई रणनीति के तहत, अब सभी लाइसेंस धारकों की आर्म्स संबंधी जानकारी एनडीएएल-एएलआईएस (नेशनल डाटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस- आर्म्स लाइसेंस इश्योएंस सिस्टम) पर अनिवार्य रूप से अपलोड करनी होगी। नई गोली खरीदने वाले लाइसेंसधारक को खोखा (खाली कारतूस) जमा कराकर उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के जारी दिशा-निर्देश (यूपी मॉडल) को यहाँ लागू किया जाएगा।
निर्णय लेने का कारण: अवैध हथियारों की बढ़ती संख्या
राज्य पुलिस औसतन 3600 अवैध हथियार और 17000 अवैध गोलियां हर साल जब्त करती है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हिंसक अपराध दर में बिहार का स्थान देश के शीर्ष पांच राज्यों में रहा है। अवैध गोलियों की जांच में यह पाया गया कि इसका मुख्य स्रोत लाइसेंसी दुकानों से लाइसेंस के नाम पर गोलियां उठाकर इनकी अवैध सप्लाई अपराधियों या ब्लैक मार्केट में की जाती है।
जांच में ये त्रुटियाँ पाई गईं हैं:
- ऑनलाइन पोर्टल पर सभी शस्त्र लाइसेंस और आयुध दुकानों की एंट्री नहीं होना।
- लाइसेंसधारकों को नई गोली देने से पहले विधि सम्मत उपयोग एवं जांच की निर्धारित प्रक्रिया नहीं होना।
- गोली देते समय लाइसेंसधारकों के वेरिफिकेशन की प्रभावी व्यवस्था नहीं होना।
- लाइसेंसधारी शस्त्र दुकानों या कारखानों का समुचित ऑडिट नहीं होना।
- नागालैंड, जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों से जारी लाइसेंसी हथियारों की कोई समुचित जानकारी नहीं होना।
ये सभी कदम बिहार में अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था को और सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।