Bihar News : बिहार में चिराग पासवान का 'सियासी प्रहार': नीतीश सरकार पर दलित बच्ची के मामले में उठाए गंभीर सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर नीतीश कुमार और उनकी सरकार के लिए सिरदर्द बन गए हैं. मुजफ्फरपुर की 9 साल की दलित बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और लापरवाही के चलते हुई मौत के मामले में चिराग ने नीतीश सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिसे राज्य के 'सिस्टम की नाकामी' बताया है. जानिए चिराग के पत्र और उनकी मांगों के बारे में, और यह कैसे 2020 के विधानसभा चुनाव की याद दिला रहा है.

Bihar News : बिहार में चिराग पासवान का 'सियासी प्रहार': नीतीश सरकार पर दलित बच्ची के मामले में उठाए गंभीर सवाल
CM नीतीश कुमार पर लगातार हमला कर रहे चिराग पासवान

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान फ्रंटफुट पर खेलते नजर आ रहे हैं. चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चिराग अपने बयानों का डोज बढ़ाते जा रहे हैं. पहले तो उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और अब मुजफ्फरपुर की दलित बच्ची के मामले पर नीतीश सरकार को ही कठघरे में खड़े करने में जुट गए.

इस तरह चिराग पासवान एक बार फिर से सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के लिए सिरदर्द बनते नजर आ रहे हैं. मुजफ्फरपुर जिले में 26 मई को 9 साल की एक दलित बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ. पीएमसीएच अस्पताल में लापरवाही के चलते एक जून को उस दलित बच्ची की मौत हो गई. उसे छह घंटे तक एंबुलेंस में तड़पना पड़ा था. इस घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है.

चिराग पासवान ने इस मामले पर नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है. चिराग ने कहा कि यह घटना सिर्फ एक बच्ची की हत्या नहीं है. यह राज्य के सिस्टम की नाकामी का सबूत भी है.


नीतीश सरकार पर चिराग ने उठाए सवाल

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने दलित बच्ची के मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया और मामले की न्यायिक जांच करने की मांग की है. चिराग ने कहा है कि 26 मई को मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में दलित बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और फिर नृशंस हत्या की घटना ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है. यह हृदयविदारक घटना न केवल एक मासूम जीवन की बर्बर हत्या है, बल्कि हमारे राज्य की कानून व्यवस्था, सामाजिक चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की पूरी नाकामी को भी उजागर करती है.

चिराग पासवान ने कहा कि मामला सामाजिक सिस्टम एवं राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी की विफलता का प्रतीक है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर इस पर शासन मौन रहा, तो यह मौन ही सबसे बड़ा अपराध बन जाएगा. साथ ही सीएम नीतीश से चिराग ने तीन मांग भी रखी. पहली रेपिस्टों को गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए. दूसरी मांग पीएमसीएच अस्पताल के प्रशासन, डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए. तीसरी मांग यह रही कि इलाज में जानबूझकर देरी और अमानवीय दिखाने वाले कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कर तुरंत निलंबित किया जाए.


चिराग के टारगेट पर नीतीश सरकार

चिराग पासवान ने जिस तरह से नीतीश सरकार पर हमले किए हैं और सिस्टम को फेल बताया है, उससे साफ जाहिर होता है कि उनके टारगेट पर फिर से नीतीश कुमार ही हैं. हालांकि नीतीश ने दलित बच्ची की मौत के लिए जांच आयोग गठित कर दिया है. इसके अलावा मुआवजा देने का ऐलान भी कर दिया. इसके बाद भी चिराग ने नीतीश कुमार को पत्र लिखा और पूरे सिस्टम को ही फेल बता दिया. साथ ही कहा कि अगर इस पर शासन मौन रहा, तो यह मौन ही सबसे बड़ा अपराध बन जाएगा.

2020 के विधानसभा चुनाव से पहले भी चिराग ने इसी तरह से नीतीश सरकार पर अपने बयानों से सवाल खड़े कर रहे थे. हर एक मुद्दे पर पत्र भी लिख रहे थे. सीट बंटवारे में जब बात नहीं बनी तो उन्होंने एनडीए में रहते हुए एनडीए से अलग चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई और हर उस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया जहां जेडीयू चुनाव लड़ रही थी.


चिराग की सियासी महात्वाकांक्षा

चिराग के चलते ही नीतीश कुमार की पार्टी महज 43 सीटों पर सिमट गई थी और यह माना गया कि लगभग तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी के उम्मीदवारों की हार की बड़ी वजह चिराग पासवान के उम्मीदवारों को मिले हुए वोट थे. जेडीयू के नेता चिराग की पार्टी को ‘वोटकटवा’ पार्टी का नाम दिया था. अब फिर से उसी नक्शेकदम पर चिराग चलते नजर आ रहें, अपने हमले फिर से शुरू कर दिए हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए चिराग ने ताल ठोंक दी है, जिसे नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर खुद को पेश करने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. चिराग भले ही औपचारिक रूप से यह कह रहे हों कि मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ही उनकी पसंद हैं और इस पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी एक समानांतर नीति के तहत उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने का दांव चल रही है. इस तरह चिराग के सियासी कदम से नीतीश की सियासी बेचैनी भी बढ़ गई है. चिराग का अपना सियासी आधार मजबूत करने और बिहार की राजनीति में खुद को मजबूत चेहरे के तौर पर स्थापित करने की स्ट्रैटेजी है.