इज़राइल-ईरान युद्ध: अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने इज़राइली परमाणु दावों पर संदेह जताया
इज़राइल और ईरान के बीच छह दिनों से जंग जारी है, जिसके बाद इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इज़राइल ने दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब है, लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इन दावों पर संदेह जताते हुए इसे पुराने प्रोग्राम का हिस्सा बताया।

इज़राइल और ईरान के बीच बीते छह दिनों से जारी जंग ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है। 13 जून 2025 को इज़राइल ने 'ऑपरेशन राइज़िंग लॉयन' की शुरुआत की और ईरान के कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इज़राइल का दावा है कि उसके पास पुख्ता खुफिया जानकारी है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब पहुँच चुका है। हालांकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले से ठीक पहले जब इज़राइल ने यह खुफिया जानकारी अमेरिका के साथ साझा की, तो अमेरिका ने इस पर भरोसा नहीं जताया।
इज़राइली दावा और अमेरिकी असहमति
इज़राइली खुफिया एजेंसियों ने दावा किया कि ईरान फिर से उन गतिविधियों में जुट गया है जो परमाणु बम बनाने के लिए आवश्यक होती हैं। इनमें न्यूट्रॉन पार्टिकल्स, प्लास्टिक विस्फोटक और एक खास ट्रिगरिंग सिस्टम पर काम शामिल है। इज़राइल ने इसे ईरान की मंशा का स्पष्ट प्रमाण माना और तुरंत सैन्य कार्रवाई की ओर कदम बढ़ा दिया।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, जब हमले से पहले अमेरिका को यह जानकारी दी गई, तो वहाँ की खुफिया एजेंसियों ने इस पर अलग राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये गतिविधियाँ भले ही चिंताजनक हों, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि ईरान ने वाकई परमाणु बम बनाने का अंतिम फैसला ले लिया है। अमेरिकी एजेंसियों ने इसे 2003 में बंद हो चुके पुराने प्रोग्राम का हिस्सा बताया। उनका कहना था कि अभी ईरान तैयारी की स्थिति में है, एक्शन मोड में नहीं।
ट्रंप सरकार का रुख और परमाणु विशेषज्ञों की राय
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुरुआत में इज़राइल को संयम बरतने की सलाह दी थी। लेकिन जैसे-जैसे तनाव बढ़ा और इज़राइली दबाव तेज हुआ, ट्रंप का रुख भी सख्त होता गया। उन्होंने कहा कि ईरान बम के बिल्कुल करीब है और उसे रोका जाना ज़रूरी है। हालांकि, अमेरिका की खुफिया प्रमुख तुलसी गैबर्ड ने मार्च में स्पष्ट किया था कि ईरान ने अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। बाद में उन्होंने ट्रंप के बयान को संतुलित करने की कोशिश की और कहा कि राष्ट्रपति और खुफिया विभाग के आकलन एक-दूसरे से बहुत अलग नहीं हैं।
परमाणु मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि इज़राइली जानकारी गंभीर तो है, लेकिन उससे यह नहीं कहा जा सकता कि ईरान अब बम ज़रूर बनाएगा। हो सकता है कि ईरान सिर्फ एक बैकअप विकल्प तैयार कर रहा हो, न कि असल हथियार। इज़राइल के हमलों के बाद ईरान ने कड़ा जवाब दिया है और जंग का ऐलान कर दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर अमेरिका इस संघर्ष में हस्तक्षेप करता है, तो इसके परिणाम और अधिक विनाशकारी हो सकते हैं।
यह स्थिति मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा रही है, और यह देखना होगा कि यह संघर्ष किस दिशा में आगे बढ़ता है।