इजराइली हमले में तेहरान स्थित बांग्लादेशी राजदूत का घर ध्वस्त, दूतावास पर भी ख़तरा
Israel ke hamle mein Tehran mein Bangladesh ke Rajdoot Wahid Islam ka ghar dhwast ho gaya. Bangladesh ne ab tak Israel-Iran sangharsh par चुप्पी saadhi hai, jisse nagarikon ki wapsi chunauti bani hai.

इजराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष का असर अब तेहरान में स्थित बांग्लादेशी राजनयिकों पर भी पड़ रहा है। बांग्लादेश के राजदूत वाहिद इस्लाम ने खुद खुलासा किया है कि इजराइली हमले में तेहरान में उनका घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। बीबीसी बांग्ला से बात करते हुए वाहिद ने बताया कि उनके घर के आसपास के सभी घर खंडहर बन चुके हैं।
हमले का स्थान और दूतावास पर मंडराता खतरा
बांग्लादेशी राजदूत का आवास तेहरान के पार्ट-3 में था, जिसे जॉर्डन नामक क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। इसी क्षेत्र में ईरान के सरकारी मीडिया का दफ्तर है, जहाँ सोमवार (16 जून 2025) को इजराइल ने हमला किया था। वाहिद के मुताबिक, उनका आवास ध्वस्त हो गया है और वे फिलहाल दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
बांग्लादेशी स्थानीय मीडिया के अनुसार, तेहरान स्थित बांग्लादेशी दूतावास पर भी खतरा मंडरा रहा है। ढाका का दूतावास तेहरान के सैन्य क्षेत्र में स्थित है, जो इजराइल के रडार पर है और वहाँ कभी भी हमला हो सकता है।
बांग्लादेश की चुप्पी और नागरिकों की वापसी की चुनौती
मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद, बांग्लादेश ने अब तक इजराइल-ईरान संघर्ष में ईरान का खुलकर समर्थन नहीं किया है। इतना ही नहीं, बांग्लादेश उन 21 मुस्लिम देशों की सूची में भी शामिल नहीं है, जिन्होंने इजराइल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया है। एक तरफ जहाँ कई बड़े मुस्लिम देशों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, वहीं बांग्लादेश ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भी अब तक इस युद्ध पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
हालांकि, बांग्लादेश ने ईरान और इजराइल में रह रहे अपने नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने का निर्देश दिया है। ईरान में लगभग 400 बांग्लादेशी नागरिक अधिकृत रूप से रह रहे हैं। यदि दूतावास के अधिकारियों और उनके परिजनों को भी जोड़ लिया जाए, तो यह संख्या करीब 800 हो जाती है। इन लोगों को सुरक्षित वापस लाना यूनुस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
फिलहाल, ईरान में फंसे बांग्लादेशी नागरिकों को बाहर निकालने के लिए केवल तुर्कमेनिस्तान ने अपनी सीमाएं खोली हैं। यदि पाकिस्तान भी अपनी सीमाएं खोलता है, तो बांग्लादेश के लिए यह स्थिति कुछ हद तक आसान हो सकती है।
यह घटना मध्य पूर्व में बढ़ती भू-राजनीतिक अस्थिरता और उसके वैश्विक प्रभावों को दर्शाती है।