बिहार के मोकामा में दो अनाथ भाई-बहन रोटी को मोहताज, सरकारी मदद का इंतज़ार
बिहार के मोकामा में माता-पिता को खो चुके 9 वर्षीय शिवम और 7 वर्षीय शिवानी रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। चाचा की आर्थिक तंगी के बाद वे बेसहारा हो गए हैं और सरकारी मदद व मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

बिहार के मोकामा स्थित मेकरा पंचायत से एक हृदयविदारक मामला सामने आया है, जहाँ दो मासूम भाई-बहन, 9 वर्षीय शिवम और 7 वर्षीय शिवानी, माता-पिता की मौत के बाद रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पहले उनके चाचा ने उनकी ज़िम्मेदारी संभाली, लेकिन अब वे भी आर्थिक तंगी के कारण असमर्थ हो चुके हैं। ये बच्चे अब बेसहारा हो गए हैं और सरकारी मदद का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
माता-पिता की मौत के बाद बेसहारा हुए बच्चे
बच्चों की माँ, संजुला देवी की मृत्यु दो साल पहले प्रसव के दौरान हो गई थी। इसके ठीक एक साल बाद, पिछले साल उनके पिता, दुखहरन राय की भी बीमारी के कारण मौत हो गई। माता-पिता दोनों को खोने के बाद, ये मासूम भाई-बहन इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं, क्योंकि कोई भी इनकी ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं है। वे एक-एक रोटी के लिए मोहताज हैं।
शुरुआती दिनों में, उनके गरीब चाचा नेपाली कुमार ने मेहनत-मज़दूरी करके इन बच्चों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी संभाली, लेकिन कुछ ही समय बाद वे भी आर्थिक रूप से असमर्थ होने लगे। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चों का कोई ठिकाना नहीं है। छोटी सी शिवानी रिश्तेदारों के घर भटक रही है, और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिश्तेदारों ने भी अब उनके भरण-पोषण से हाथ पीछे खींच लिए हैं। हर तरफ़ से मिल रहे तिरस्कार के बाद, बच्ची 10 दिन पहले फिर से अपने चाचा के घर लौट आई है।
स्कूल से विमुख और सरकारी मदद से वंचित
9 साल का शिवम, जो प्राथमिक विद्यालय में चौथी कक्षा का छात्र है, अब स्कूल से विमुख हो चुका है। महज़ 9 साल की उम्र में ही वह अपने गरीब चाचा के काम में मदद करता है, जिससे उसका पेट पल पा रहा है।
बच्चों के चाचा नेपाली कुमार ने बताया कि इन अनाथ बच्चों का कोई सहारा नहीं है और सबसे दुखद बात यह है कि उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि वे सरकारी दफ़्तरों के चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। नेपाली कुमार ने आगे बताया कि इन दोनों बच्चों के माता-पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र अभी तक नहीं बन पाया है, जबकि उनकी मृत्यु दो साल पहले हो चुकी है। इस कारण वे लगातार सरकारी दफ़्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कभी आवेदन में गलती तो कभी कुछ और कारण बताकर उन्हें वापस कर दिया जाता है।
प्रशासन से मिला आश्वासन
समाज के कुछ लोगों ने इस गंभीर मामले को लेकर अधिकारियों से बात की है। उन्हें आश्वासन दिया गया है कि बच्चों के माता-पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र जल्द ही जारी किया जाएगा। साथ ही, बाल संरक्षण विभाग को भी मामले की जानकारी देने की बात कही गई है, ताकि इन बच्चों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके और उन्हें एक सुरक्षित भविष्य मिल पाए।