‘बुरे वक्त में दोस्त का साथ न देना विश्वासघात…’: ईरान-इजराइल जंग में अखिलेश यादव ने विदेश नीति पर उठाए सवाल

Akhilesh Yadav ne Iran-Israel jang par Bharat ki videsh niti par sawal uthaye. Bole, 'Bure waqt mein dost ka saath na dena vishwasghat hai.' Fase Bharatiyon ki wapsi aur santulit rukh ki maang.

‘बुरे वक्त में दोस्त का साथ न देना विश्वासघात…’: ईरान-इजराइल जंग में अखिलेश यादव ने विदेश नीति पर उठाए सवाल

लखनऊ, उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ईरान-इजराइल संघर्ष पर भारत सरकार की चुप्पी और अस्पष्ट रुख की कड़ी निंदा की है। उन्होंने भारत की विदेश नीति पर तीखे सवाल उठाते हुए कहा है कि ऐसे समय में भारत को अपने पुराने मित्रों का साथ देना चाहिए, अन्यथा यह विश्वासघात के समान होगा।


"दुनिया देखती है आप किसके साथ खड़े हैं"

अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा, "दुनिया यह देखती है कि बुरे वक्त में आप किसके साथ खड़े हैं। अगर आप उस दोस्त के साथ नहीं खड़े हैं, जिसने कभी आपका उपकार किया था, तो यह विदेश नीति के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है।" उनका स्पष्ट इशारा उन पुराने मित्र देशों की ओर था जो संकट के समय में भारत के साथ खड़े रहे हैं।


फंसे भारतीयों की वापसी और संतुलित रुख की मांग

यादव ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष पर एक स्पष्ट और संतुलित रुख अपनाए। उन्होंने कहा कि भारत को न केवल कूटनीतिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए, बल्कि इस क्षेत्र में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए भी त्वरित कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने सरकार से विशेष विमानों और राजनयिकों को भेजने की अपील करते हुए कहा, "भारत सरकार से अपील है कि जो लोग युद्ध में फंसे हैं, उनके लिए विशेष विमान और राजनयिक भेजे जाएं, ताकि उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।" अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि यदि सरकार ऐसा करने में असफल रहती है, तो उसे "विश्वगुरु" कहलाने का ढोंग बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सिर्फ नाम और प्रचार में व्यस्त है, जबकि असली संकट के समय वह ज़रूरी फैसले लेने से पीछे हट जाती है।


सोनिया गांधी ने भी उठाए थे सवाल

अखिलेश यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम एशिया में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस की संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने भी ईरान और इजराइल के बीच चल रहे गंभीर तनाव के बीच भारत सरकार की चुप्पी पर कड़ा ऐतराज जताया था। उन्होंने कहा था कि ऐसे संवेदनशील और अस्थिर हालात में भारत को अपनी ऐतिहासिक विदेश नीति के अनुरूप स्पष्ट, जिम्मेदार और दृढ़ रुख अपनाना चाहिए।

सोनिया गांधी ने ईरान को भारत का पुराना और भरोसेमंद दोस्त बताते हुए 1994 की घटना का जिक्र किया था, जब संयुक्त राष्ट्र में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भारत की आलोचना वाले प्रस्ताव को ब्लॉक करने में ईरान ने भारत की मदद की थी। उन्होंने कहा था कि यह समय है जब भारत को एक स्पष्ट, जिम्मेदार और मजबूत आवाज में बोलना चाहिए।

हालांकि, भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु लॉन्च किया है और ईरान में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी शुरू हो गई है।