Power Cut : वाराणसी में बिजली संकट गहराया एक करोड़ की मरम्मत के बाद भी 4-4 घंटे बिजली गुल, 3 महीने में 412 ट्रांसफार्मर जले!
वाराणसी में बिजली आपूर्ति सुधारने के लिए 6 माह में ₹1 करोड़ से ज़्यादा खर्च हुए, फिर भी भीषण गर्मी में 4-4 घंटे बिजली कट रही है। पिछले तीन महीनों में 412 ट्रांसफार्मर जल गए, जिससे शहर और ग्रामीण दोनों इलाकों में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

varanasi News : धार्मिक नगरी वाराणसी में बिजली संकट ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। पिछले छह महीनों में बिजली आपूर्ति की मरम्मत पर एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाने के बावजूद, शहर और ग्रामीण इलाकों में औसतन 4 से 4 घंटे की बिजली कटौती हो रही है। भीषण गर्मी के बीच यह स्थिति लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है।
मरम्मत पर करोड़ों खर्च, फिर भी हालात बदतर
बिजली विभाग द्वारा बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के नाम पर इस साल अब तक 1 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद इसके, अप्रैल से जून के तीन महीनों के दौरान वाराणसी जिले में औसतन 4-4 घंटे की बिजली कटौती देखी गई। इस अवधि में कुल 412 ट्रांसफार्मर जल गए हैं, जिनमें से 380 अकेले ग्रामीण इलाकों के हैं, जबकि शहर में भी 32 ट्रांसफार्मर ने दम तोड़ दिया।
इसके अलावा, 10 से अधिक कॉलोनियों में पैनल बॉक्स के तार खुले पड़े हैं, तार टूटकर गिर रहे हैं, और अंडरग्राउंड केबल व पैनल ब्लास्ट की समस्या भी बढ़ रही है। ट्रांसफार्मर भी खुले में रखे जा रहे हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है। दो दिन पहले ही नेवादा गांव में 10 साल की एक बच्ची की लटकते तार की चपेट में आने से मौत हो चुकी है, जो इस लापरवाही की भयावहता को दर्शाता है।
कब आएगी और कब जाएगी, पता नहीं!
अप्रैल, मई और जून के महीनों में बिजली कटौती ने लोगों को खूब परेशान किया। कहीं तीन तो कहीं पांच घंटे तक बिजली गुल रही। लोगों को यह तक पता नहीं चल पाता कि बिजली कब आएगी और कब चली जाएगी। उपकेंद्रों पर फोन करने पर कभी तारों के टूटने को वजह बताया जाता है तो कभी पेड़ की डाली गिरने से बिजली कटने की बात कही जाती है।
रोहनिया, मड़ौली, चांदपुर, आदित्यनगर करौंदी, नरिया, पांडेयपुर, सारनाथ, चौक, मैदागिन, पक्का महाल, अर्दलीबाजार, अमरा, चिरईगांव के छाही उपकेंद्र से जुड़े गांव, खैरा, राजातालाब आदि जगहों पर पिछले दो महीने में ट्रांसफार्मर जलने, पैनल ब्लास्ट, तार टूटने और अंडरग्राउंड केबल फॉल्ट जैसी समस्याओं के कारण अधिक कटौती हुई।
बजट की कमी नहीं, फिर भी बदहाली
वाराणसी में बिजली आपूर्ति के लिए डिस्ट्रीब्यूशन के कुल 11 डिवीजन हैं। बिजली निगम की ओर से मरम्मत के नाम पर सालाना हर डिवीजन के लिए 85 लाख रुपये का बजट निर्धारित किया जाता है। यानी, बजट की कोई कमी नहीं है, फिर भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
जलते ट्रांसफार्मर और ट्रॉली के भरोसे आपूर्ति
पिछले तीन महीनों में 412 ट्रांसफार्मर जलने से बिजली व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है। ग्रामीण इलाकों में लगने वाले छोटे ट्रांसफार्मर सबसे अधिक जले हैं। शहर में भी 10 से अधिक जगहों पर ट्रॉली ट्रांसफार्मर लगाकर काम चलाया जा रहा है, जो स्थायी समाधान नहीं है। बिजली की बढ़ती जरूरत के बावजूद, ट्रांसफार्मर और तार जवाब दे रहे हैं, जिससे लोगों को बिना बिजली के रात गुजारनी पड़ रही है और घंटों बिजली कटने से पानी का संकट भी गहरा रहा है। ग्रामीण इलाकों में 25-63 और 100 केवीए के ट्रांसफार्मर अधिक लगते हैं, जबकि शहर में 250-400-630 केवीए के ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं। इस साल छोटे ट्रांसफार्मर भी खूब जले हैं।
मानक से अधिक समय लग रहा ट्रांसफार्मर बदलने में
पिछले साल की तुलना में इस साल जिले में बिजली की खपत भी ज्यादा रही है। वैसे, ट्रांसफार्मर जलने के बाद उसे बदलने का अधिकतम मानक समय 6 घंटा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोगों को 15 से 20 घंटे तक बिना ट्रांसफार्मर के रहना पड़ा। रोहनिया, सारनाथ, आशापुर जैसे इलाकों में तो 20 घंटे से अधिक समय बाद ट्रांसफार्मर लग सके। रोहनिया के खैरा नई बस्ती में तो जून के तीसरे सप्ताह में एक ट्रांसफार्मर बदलने में 52 घंटे लग गए!
ओवरलोडिंग मुख्य वजह, प्रदर्शन जारी
जिले में ट्रांसफार्मर फुंकने की मुख्य वजह ओवरलोडिंग है। अप्रैल में गर्मी थोड़ी कम थी, लेकिन मई और जून में उमस बढ़ने के साथ ही बिजली कटौती भी बढ़ गई। शहर में भले ही ट्रांसफार्मर जलने की संख्या कम रही हो, लेकिन तारों के टूटने और अंडरग्राउंड केबल फॉल्ट की समस्या खूब रही, जिससे मैदागिन, चौक, पांडेयपुर, सारनाथ, मड़ौली, चांदपुर, लहरतारा, नरिया, करौंदी के साथ ही पांडेयपुर, आशापुर, रोहनिया, राजातालाब और मिर्जामुराद के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।
बिजली कटौती से परेशान डाफी के लोगों ने रविवार को उपकेंद्र पहुंचकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कटौती की सही जानकारी न दिए जाने और बार-बार शिकायत के बावजूद समाधान न होने पर नाराजगी जताई। डाफी निवासी भाजपा नेता अखिलेश उपाध्याय ने आरोप लगाया कि लॉग बुक में कटौती कम दिखाई जाती है, जबकि शनिवार को केवल 12 घंटे बिजली आपूर्ति हुई, जिससे पानी का संकट भी झेलना पड़ा।
गर्मी के मौसम में ट्रांसफार्मर जलने और तार जलने से कटौती बढ़ी, वहीं अब बरसात का मौसम आते ही ट्रिपिंग की समस्या भी बढ़ गई है। यह स्थिति बिजली विभाग की कार्यप्रणाली और रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े करती है।