मुंबई हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश: मृत व्यक्ति के वीर्य को सुरक्षित रखने का आदेश, वंश वृद्धि पर सुनवाई जारी
मुंबई उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में एक प्रजनन केंद्र को निर्देश दिया है कि वह एक मृत अविवाहित व्यक्ति के वीर्य को सुरक्षित रखे। यह आदेश उसकी मां की याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक लागू रहेगा, जिसमें उन्होंने बेटे के वंश को आगे बढ़ाने के लिए वीर्य का उपयोग करने की अनुमति मांगी है।

मुंबई उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए शहर के एक प्रजनन केंद्र को निर्देश दिया है कि वह एक मृत अविवाहित व्यक्ति के वीर्य को सुरक्षित रखे। यह आदेश व्यक्ति की मां द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक लागू रहेगा, जिसमें महिला ने अपने बेटे के वंश को आगे बढ़ाने के लिए उसके वीर्य का उपयोग करने की अनुमति मांगी है।
मामले की पृष्ठभूमि और मां की दलील
न्यायमूर्ति मनीष पितले की एकल पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि यदि याचिका पर पूरी तरह से विचार होने से पहले वीर्य को सुरक्षित नहीं रखा गया, तो याचिका ही निरर्थक हो जाएगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 जुलाई निर्धारित की है।
प्रजनन केंद्र ने मृत व्यक्ति की मां को वीर्य सौंपने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद महिला ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। दरअसल, मृतक ने कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी शुरू करने से पहले भविष्य के लिए अपने वीर्य को संरक्षित करने का निर्णय लिया था। हालांकि, उन्होंने एक सहमति पत्र में स्पष्ट किया था कि उनकी मृत्यु के बाद वीर्य को नष्ट कर दिया जाए।
मृतक की मां का तर्क है कि उनके बेटे ने यह निर्णय परिवार से बिना सलाह-मशविरा किए लिया था। इसलिए, वह अब अपने बेटे के वीर्य को गुजरात के एक आईवीएफ केंद्र में स्थानांतरित कराना चाहती हैं ताकि वह उसका उपयोग वंशवृद्धि के लिए कर सकें। प्रजनन केंद्र ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि मौजूदा सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत इसके लिए अदालत की अनुमति आवश्यक है।
कानूनी सवाल और अदालत का रुख
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह याचिका उस महत्वपूर्ण सवाल को उठाती है कि सहायक प्रजनन तकनीक कानून के तहत किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके संरक्षित वीर्य का क्या किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस विषय पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता बताते हुए फिलहाल प्रजनन केंद्र को वीर्य को सुरक्षित बनाए रखने का निर्देश दिया है।
सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 का उद्देश्य इस क्षेत्र में नैतिकता बनाए रखना, दुरुपयोग को रोकना और तकनीक का उपयोग करने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा करना है। इस कानून के तहत, किसी मृत व्यक्ति के वीर्य या अंडाणु का उपयोग तभी किया जा सकता है जब स्पष्ट कानूनी अनुमति हो।
यह मामला भारत में सहायक प्रजनन तकनीकों से जुड़े नैतिक, कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ सकता है।