अस्पताल घोटाला मामला: सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज पर ACB ने दर्ज किया केस, ₹5590 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप
दिल्ली के उपराज्यपाल के निर्देश पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ ₹5590 करोड़ के अस्पताल निर्माण घोटाले में केस दर्ज किया है। इस मामले में अनियमितताएं, बिना मंजूरी निर्माण और फंड के दुरुपयोग के आरोप हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल के निर्देश पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार में पूर्व मंत्री रहे सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह कार्रवाई ₹5590 करोड़ के कथित अस्पताल निर्माण घोटाले से जुड़ी है, जिसमें अनियमितताएं, बिना मंजूरी निर्माण और सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह जांच भाजपा नेता और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के बाद शुरू हुई थी, जो उन्होंने 22 अगस्त 2024 को दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली सरकार ने साल 2018-19 में 24 अस्पताल परियोजनाओं (11 नए अस्पताल और 13 पुराने अस्पतालों के विस्तार) के लिए ₹5,590 करोड़ मंज़ूर किए थे। हालांकि, ये सभी प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हुए और उनकी लागत भी बहुत ज़्यादा बढ़ गई, जिससे बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के संकेत मिले।
जांच में सामने आया कि अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और ICU के निर्माण में बड़ी अनियमितताएं, बिना मंजूरी के अतिरिक्त निर्माण और फंड्स का गलत इस्तेमाल हुआ है। कई अस्पतालों के निर्माण में सैकड़ों करोड़ रुपये का खर्च बढ़ा, लेकिन कोई भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हुआ।
जांच में सामने आई मुख्य अनियमितताएं:
- ICU अस्पताल प्रोजेक्ट: 6,800 बेड्स वाले 7 अस्पतालों के लिए ₹1,125 करोड़ मंज़ूर किए गए थे। ₹800 करोड़ खर्च होने के बाद भी सिर्फ 50% काम ही हुआ, जबकि प्रोजेक्ट 6 महीने में पूरा होना था।
- अतिरिक्त निर्माण: ज्वालापुरी और मादीपुर के अस्पतालों में बिना अनुमति के अतिरिक्त निर्माण किया गया। मादीपुर अस्पताल नवंबर 2022 तक पूरा होना था, लेकिन आज भी अधूरा और बंद पड़ा है।
- लागत में बढ़ोतरी: ICU अस्पतालों का ठेका SAM India Buildwell Pvt Ltd को दिया गया था, जिनकी लागत 100% से अधिक बढ़ गई, लेकिन काम अब भी अधूरा है।
- LNJP अस्पताल: नए ब्लॉक का ठेका Swadeshi Civil Infrastructure Pvt Ltd को दिया गया था, जिसकी लागत ₹488 करोड़ से बढ़कर ₹1,135 करोड़ हो गई, लेकिन निर्माण अब भी अधूरा है।
- पॉलीक्लिनिक प्रोजेक्ट: 94 में से केवल 52 क्लिनिक बने और लागत ₹168 करोड़ से बढ़कर ₹220 करोड़ हो गई। कई क्लिनिक अभी भी काम नहीं कर रहे हैं।
- हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (HIMS): साल 2016-17 में घोषित HIMS अब तक लागू नहीं किया गया। NIC का मुफ़्त और सस्ता ई-हॉस्पिटल सॉफ़्टवेयर बिना कारण रिजेक्ट कर दिया गया।
ACB ने जांच में नियमों के उल्लंघन, गलत टेंडर प्रक्रिया, जानबूझकर देरी और सरकारी धन की बर्बादी पाई है।
ACB की कार्रवाई
जांच के बाद, ACB ने पूर्व मंत्रियों के खिलाफ धारा 17A (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के तहत अनुमति मांगी, जो उपराज्यपाल द्वारा दे दी गई। इसके बाद, FIR नंबर 37/2025, 26 जून 2025 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) और IPC की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), और 120B (षड्यंत्र) के तहत केस दर्ज किया गया है। इस मामले में पूर्व मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका की पूरी जांच की जा रही।