सुंदर पिचाई के IIT बैचमेट गौरांग दास: कॉर्पोरेट दुनिया छोड़ बने आध्यात्मिक गुरु

सुंदर पिचाई के IIT बैचमेट गौरांग दास ने कॉर्पोरेट जीवन की चकाचौंध छोड़ आध्यात्मिकता का मार्ग अपनाया है। IIT बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर ISKCON के सदस्य के रूप में भक्ति योग का प्रचार-प्रसार करना शुरू किया।

सुंदर पिचाई के IIT बैचमेट गौरांग दास: कॉर्पोरेट दुनिया छोड़ बने आध्यात्मिक गुरु
गूगल CEO सुंदर पिचाई का बैचमेट है ये संन्यासी

आज के दौर में जब हर कोई करियर की ऊंचाइयों को छूने की दौड़ में शामिल है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भौतिक सफलता की इस दौड़ से हटकर आत्मिक शांति की तलाश में निकल जाते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है गौरांग दास की, जो कभी Google के CEO सुंदर पिचाई के बैचमेट थे। सुंदर पिचाई जहाँ IIT से पढ़ाई कर आज गूगल के सीईओ हैं, वहीं गौरांग दास एक आध्यात्मिक शिक्षक और इस्कॉन (ISKCON) के गवर्निंग बॉडी कमीशन के सदस्य हैं। गौरांग दास का जीवन उन युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो करियर की सफलता और आत्मिक संतुलन के बीच सही रास्ता तलाश रहे हैं।


IIT से संन्यास तक का सफर

हाल ही में लंदन में आयोजित इंडिया ग्लोबल फोरम 2025 में गौरांग दास ने सुंदर पिचाई के बारे में बात करते हुए बताया कि वे दोनों IIT में एक ही बैच और एक ही ब्रांच से थे, हालांकि दोनों ने अलग-अलग IIT संस्थानों से पढ़ाई की थी। इस कारण वे कॉलेज के दिनों में एक-दूसरे से कभी नहीं मिले, लेकिन हाल ही में जब उनकी मुलाकात हुई तो सुंदर पिचाई उन्हें संन्यासी के रूप में देखकर हैरान रह गए।

सुंदर पिचाई ने IIT खड़गपुर से और गौरांग दास ने IIT बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की थी। आज गौरांग दास भक्तिवेदांत रिसर्च सेंटर के प्रमुख की भूमिका निभा रहे हैं और 'आर्ट ऑफ रेजिलिएंस' तथा 'आर्ट ऑफ फोकस' जैसी कई किताबें भी लिख चुके हैं।


कॉर्पोरेट जीवन का त्याग और आध्यात्मिकता की ओर रुझान

IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से ग्रेजुएट होने के बाद गौरांग दास का भविष्य बेहद उज्ज्वल था। बीटेक के बाद उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी सैलरी वाली नौकरी भी की, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह अहसास हुआ कि भौतिक सफलता उन्हें वह शांति नहीं दे पा रही जिसकी उन्हें तलाश थी। ऐसे में, कॉर्पोरेट की चकाचौंध से हटकर उनका रुझान आध्यात्मिकता की ओर होने लगा। वे धीरे-धीरे भगवद गीता और भक्ति योग के प्रति आकर्षित हुए। इसी दौरान उन्होंने इस्कॉन (ISKCON) से संपर्क साधा और अपने जीवन का नया अध्याय शुरू किया। उन्होंने दुनिया की दौलत और सुविधाओं का त्याग कर ब्रह्मचर्य जीवन अपनाया और गौरांग दास नाम धारण किया।


भक्ति योग के माध्यम से शिक्षा

आज गौरांग दास देश-विदेश में युवाओं, प्रोफेशनल्स और छात्रों को आध्यात्मिक जीवन और भक्ति योग की शिक्षा देते हैं। उन्होंने आईआईएम (IIM), आईआईटी (IIT), गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों और संस्थानों में भी लेक्चर दिए हैं। उनका मानना है कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य समझना है। वे कहते हैं, "हमने पढ़ाई की है ताकि हम सोच सकें, न कि सिर्फ नौकरी के लिए भागदौड़ करें।"

गौरांग दास का जीवन यह दिखाता है कि सच्ची शांति और संतुष्टि केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि जीवन के गहरे अर्थ को समझने और आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने में भी निहित हो सकती है।