इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' पोस्ट शेयर करने वाले की जमानत याचिका खारिज की, न्यायपालिका ने राष्ट्रविरोधी कृत्यों पर सख्त रुख अपनाया
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया पर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' और 'जिहाद' के समर्थन में पोस्ट साझा करने वाले अंसार अहमद सिद्दीकी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने राष्ट्रविरोधी कृत्यों पर न्यायपालिका की सख्त रुख अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर पहलगाम हमले के बाद साझा की गई ऐसी पोस्ट को लेकर।

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया पर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' और 'जिहाद' के समर्थन में पोस्ट साझा करने के आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की है कि ऐसे राष्ट्रविरोधी कृत्यों के प्रति न्यायपालिका की सहनशीलता ही इन मामलों की बढ़ती संख्या का कारण बन रही है, जिससे ऐसे अपराध तेजी से आम हो रहे हैं।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस प्रशांत कुमार की अदालत ने कहा कि आरोपी द्वारा किया गया कार्य न केवल भारत के संविधान और उसकी मूल भावनाओं का अपमान है, बल्कि यह देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसा है। कोर्ट ने आरोपी की उम्र (62 वर्ष) पर भी ध्यान दिया और कहा कि वह स्वतंत्र भारत में पैदा हुआ है, इसके बावजूद उसने ऐसा गैर-जिम्मेदाराना और राष्ट्रविरोधी व्यवहार किया।
संविधान और राष्ट्रविरोधी पोस्ट
कोर्ट ने अनुच्छेद 51(ए) का हवाला देते हुए बताया कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे। उपखंड (सी) के अनुसार, भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करना भी प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी ने 3 मई को फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें कथित तौर पर जिहाद के प्रचार, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे और पाकिस्तानी भाइयों का समर्थन करने की अपील की गई थी। यह पोस्ट पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद साझा की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष हिंदू मारे गए थे।
राज्य सरकार की दलीलें और कोर्ट का फैसला
राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह पोस्ट न केवल एक संवेदनशील समय में साझा की गई, बल्कि इससे आतंकवादी कृत्यों को धार्मिक आधार पर समर्थन मिलता हुआ प्रतीत होता है। आरोपी के वकील ने उम्र (62 साल) और चल रहे इलाज का हवाला देते हुए जमानत की दलील दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में आरोपी को जमानत देना उचित नहीं है। साथ ही, कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए हैं कि वह मामले की सुनवाई तेजी से पूरी करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रविरोधी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ न्यायपालिका को सख्त रुख अपनाने की आवश्यकता है, ताकि समाज में ऐसी प्रवृत्तियों पर लगाम लगाई जा सके।
इस मामले में आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 197 और 152 के तहत थाना छतारी, जिला बुलंदशहर में मुकदमा दर्ज किया गया है।