महाराष्ट्र में हिंदी पर सियासी घमासान: उद्धव-राज ठाकरे 5 जुलाई को करेंगे संयुक्त आंदोलन

महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले पर सियासी बवाल छिड़ गया है। एनसीपी (शरद पवार गुट) ने विरोध में बैनर लगाए हैं, जबकि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को मुंबई में एक विशाल संयुक्त आंदोलन करने जा रहे हैं।

महाराष्ट्र में हिंदी पर सियासी घमासान: उद्धव-राज ठाकरे 5 जुलाई को करेंगे संयुक्त आंदोलन
महाराष्ट्र्र्र में मचा भाषाई बवाल

महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले को लेकर सियासी बवाल मच गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लागू इस नीति का जमकर विरोध हो रहा है। ऐसे में ठाणे में एनसीपी (शरद पवार गुट) के कार्याध्यक्ष प्रकाश पाटिल ने शरद पवार, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की तस्वीरों वाला एक बैनर लगाकर खूब चर्चा बटोरी है। यह बैनर मराठी भाषा के समर्थन और हिंदी की अनिवार्यता के विरोध में लगाया गया है।


बैनर और सियासी एकजुटता

बैनर में स्पष्ट रूप से लिखा है कि "मराठी भाषा और संस्कृति को बचाना हर महाराष्ट्रीयन की जिम्मेदारी है।" इस बैनर ने स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है और सोशल मीडिया पर भी यह खूब वायरल हो रहा है। बता दें कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस फैसले को मराठी अस्मिता पर हमला करार दिया है। दोनों पार्टियों के नेता उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को मुंबई में एक विशाल संयुक्त आंदोलन करने जा रहे हैं। इस आंदोलन में अन्य विपक्षी दलों और मराठी भाषा प्रेमियों के भी शामिल होने की संभावना है।


विरोध का कारण

महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कक्षा 1 से 5 तक के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला किया है। सरकार का तर्क है कि यह नीति छात्रों को देश की एक प्रमुख भाषा से जोड़ेगी। हालांकि, विपक्षी दलों का मानना है कि यह कदम मराठी भाषा और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करेगा। राज ठाकरे ने इसे ‘हिंदी थोपने’ की कोशिश बताया और कहा कि महाराष्ट्र में मराठी का सम्मान सर्वोपरि है।


5 जुलाई को मुंबई में बड़ा प्रदर्शन

शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे ने 5 जुलाई को मुंबई के गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक एक विशाल मार्च निकालने की योजना बनाई है। पहले यह प्रदर्शन 6 और 7 जुलाई को अलग-अलग होने वाला था, लेकिन एकादशी के त्योहार को ध्यान में रखते हुए तारीख बदलकर 5 जुलाई कर दी गई। इस मार्च में हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। मुंबई पुलिस ने सुरक्षा के लिए ड्रोन निगरानी और भारी पुलिस बल तैनात करने की तैयारी भी की है।


सियासी समीकरण और सरकार का रुख

यह आंदोलन महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, जो पहले एक-दूसरे के सियासी प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, अब मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एक साथ आ रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह एकता आगामी नगर निगम चुनावों को ध्यान में रखकर बनाई गई रणनीति हो सकती है। वहीं, बीजेपी ने इस आंदोलन को ‘नौटंकी’ करार देते हुए कहा है कि हिंदी को अनिवार्य नहीं, बल्कि वैकल्पिक बनाया गया है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विवाद को शांत करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया गया है और छात्र अपनी पसंद की तीसरी भाषा चुन सकते हैं। शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने भी साफ किया कि मराठी अनिवार्य रहेगी, अंग्रेजी दूसरी भाषा होगी और तीसरी भाषा वैकल्पिक होगी। लेकिन विपक्ष का कहना है कि सरकारी आदेश में अभी भी अस्पष्टता है, जिससे हिंदी को थोपने का डर बना हुआ है।

महाराष्ट्र में भाषा को लेकर छिड़ी इस राजनीतिक लड़ाई पर आपकी क्या राय है?