कोलकाता लॉ कॉलेज रेप केस: FIR में आरोपियों के नाम 'J, M, P' लिखे जाने पर उठे गंभीर सवाल, पुलिस पर छिपाने का आरोप

कोलकाता के साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज गैंगरेप मामले में पुलिस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। FIR में आरोपियों के नाम 'J, M, P' जैसे अक्षरों से दर्शाए गए हैं, जिससे विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि पुलिस प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है।

कोलकाता लॉ कॉलेज रेप केस: FIR में आरोपियों के नाम 'J, M, P' लिखे जाने पर उठे गंभीर सवाल, पुलिस पर छिपाने का आरोप

कोलकाता, पश्चिम बंगाल: कोलकाता के कस्बा स्थित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले में कोलकाता पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। एफआईआर (FIR) में आरोपियों के नाम पूरे न लिखकर केवल अंग्रेजी अक्षरों 'जे' (J), 'एम' (M), और 'पी' (P) का उल्लेख किया गया है, जिससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि पुलिस जानबूझकर किसी प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की कोशिश तो नहीं कर रही। इसे लेकर विपक्ष ने पुलिस पर जमकर हमला बोला है।

यह घटना आरजी कर बलात्कार और हत्या कांड के लगभग दस महीने बाद सामने आई है, जिसने पहले भी पुलिस की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया था। अब कस्बा में एक बार फिर वैसी ही लापरवाही और पर्दादारी के आरोप लग रहे हैं।


आरोपियों के नाम क्यों छिपाए गए?

विपक्षी राजनीतिक दलों का आरोप है कि जब आरोपी बालिग हैं, तब उनके नाम एफआईआर में छिपाने का कोई औचित्य नहीं है। नाम नहीं होने की स्थिति में एफआईआर की वैधता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

पूर्व डिप्टी पुलिस कमिश्नर सत्यजीत बनर्जी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैंने 40 वर्षों तक सेवा की है, कई गैंगरेप मामलों की जांच की है, लेकिन कभी नहीं देखा कि एफआईआर में आरोपी का नाम ना हो। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, पीड़िता की पहचान छिपाना अनिवार्य है, लेकिन आरोपी के नाम छिपाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा कि "एफआईआर में घटना का समय, स्थान और आरोपी की पूरी जानकारी अनिवार्य होती है। यदि नाम का उल्लेख नहीं किया गया है, तो यह एफआईआर अधूरी है और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा बन सकती है।"


विपक्षी दलों ने पुलिस पर बोला हमला

भाजपा नेता सजल घोष ने पुलिस की मंशा पर सीधा सवाल उठाते हुए कहा, "यह 'चोर-चोर मौसेरे भाई' जैसा मामला है। नया कांस्टेबल भी जानता है कि आरोपी का पूरा नाम, पता और पिता का नाम एफआईआर में लिखा जाना चाहिए, लेकिन यहां जानबूझकर जे, एम और पी जैसे संकेत दिए गए हैं ताकि किसी विशेष आरोपी को बचाया जा सके।"

घोष ने आगे आरोप लगाया कि "पश्चिम बंगाल में कानून अब अपराधियों के पक्ष में काम कर रहा है। यह संविधान और न्यायपालिका का अपमान है, जिन पुलिस अधिकारियों ने यह एफआईआर तैयार की, उन्हें पहले जेल में भेजा जाना चाहिए।"

सीपीआईएम नेता शत्रुप घोष ने भी कहा, "जब शिकायतकर्ता आरोपी को पहचानता है और नाम जानता है, तब नाम छिपाने का कोई कारण नहीं बनता। देश में कई बार आरोपी सिर्फ एफआईआर में खामियों के कारण छूट जाते हैं।"


पुलिस सवालों के घेरे में

इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहन आलोचना हो रही है। आरोप है कि एक ओर जहां अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज किया गया, वहीं दूसरी ओर आरोपी की पहचान को जानबूझकर धुंधला कर दिया गया, जिससे न्याय मिलने की प्रक्रिया कमजोर पड़ सकती है। इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।