Ayodhya : रामकथा संग्रहालय में श्रद्धालु जान सकेंगे 500 साल के राम मंदिर आंदोलन का कानूनी इतिहास और खुदाई के अवशेष
अयोध्या में बन रहे रामकथा संग्रहालय में अब श्रद्धालु 500 साल के राम मंदिर आंदोलन के कानूनी पक्ष को विस्तार से जान सकेंगे। दो विशेष गैलरियों में भूमि विवाद से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज और अदालती फैसले प्रदर्शित किए जाएंगे। साथ ही, खुदाई में मिले प्राचीन मंदिर के अवशेष भी यहाँ देखे जा सकेंगे, जो इतिहास की मूक गवाही देते हैं।

Ayodhya : अयोध्या में बन रहा भव्य रामकथा संग्रहालय अब सिर्फ भगवान राम की कहानियों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह श्रद्धालुओं को राम मंदिर आंदोलन के 500 वर्षों के कानूनी पक्ष से भी रूबरू कराएगा। इस संग्रहालय में दो विशेष गैलरियां होंगी, जिनमें अयोध्या भूमि विवाद से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज और अदालती फैसलों को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही, खुदाई में मिले प्राचीन मंदिर के अवशेष भी यहाँ देखे जा सकेंगे, जो सदियों पुराने इतिहास की मूक गवाही देते हैं।
कानूनी यात्रा और ऐतिहासिक दस्तावेज
रामकथा संग्रहालय में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु एक ओर जहाँ भगवान श्रीराम की कथा को चित्रों, ध्वनि और भावनात्मक प्रस्तुतियों के माध्यम से अनुभव करेंगे, वहीं दूसरी ओर उन्हें अयोध्या भूमि विवाद से जुड़ी पूरी कानूनी लड़ाई का क्रमवार विवरण भी देखने को मिलेगा। इसमें ऐतिहासिक दस्तावेज, अदालती फैसले और इस संविधान सम्मत लड़ाई के विभिन्न चरण शामिल होंगे। यह विशेष खंड उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा जो इस जटिल और लंबी कानूनी प्रक्रिया को समझना चाहते हैं। संग्रहालय में एक ऑडिटोरियम और एक बुक स्टॉल का निर्माण भी किया जाएगा।
खुदाई में मिले अवशेषों का प्रदर्शन
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को रामकथा संग्रहालय में हुई बैठक में बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई में प्राप्त मंदिर के अवशेष भी दो गैलरियों में प्रदर्शित किए जाएंगे। ये अवशेष, जिनमें खंभे, मूर्तियां, स्तंभ-आधार और स्थापत्य के दुर्लभ चिन्ह शामिल हैं, पत्थरों में गढ़े हुए इतिहास के सशक्त प्रमाण हैं, जो बताते हैं कि यह भूमि आदिकाल से आस्था का केंद्र रही है।
राम की विश्व-व्यापकता और अन्य गैलरियां
संग्रहालय के बेसमेंट में बन रही एक गैलरी में राम की विश्व-व्यापकता को दर्शाया जाएगा। यहाँ यह दिखाया जाएगा कि किस प्रकार अलग-अलग देशों में भगवान राम की आराधना की जाती है और वहाँ की राम संस्कृति क्या है। इसके अतिरिक्त, हनुमान जी पर आधारित एक विशेष गैलरी का निर्माण भी किया जा रहा है, जिस पर IIT चेन्नई की टीम काम कर रही है।
नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि कुल 20 गैलरियां बनाई जा रही हैं, और दिसंबर 2025 तक इनके निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि रामकथा संग्रहालय में श्रद्धालुओं के लिए टिकट या पास की किसी व्यवस्था पर फिलहाल कोई विचार नहीं किया गया है। बैठक में राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र, रामकथा संग्रहालय के निदेशक डॉ. संजीव सिंह समेत अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे।
जल्द ही परिसर का विस्तृत भ्रमण कर पाएंगे श्रद्धालु
नृपेंद्र मिश्र ने यह भी बताया कि राम मंदिर परिसर में जो भी निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं, उन सभी स्थलों पर श्रद्धालु जा सकें, इसको लेकर मंथन चल रहा है। अनुमान है कि पूरे परिसर का भ्रमण करने में श्रद्धालुओं को दो से तीन घंटे का समय लग सकता है। ट्रस्ट इस बात पर भी विचार कर रहा है कि यदि प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालु आते हैं, तो उनके सुचारु भ्रमण और सुरक्षा की व्यवस्था कैसे की जाएगी। कुबेर टीला पर सीमित संख्या में ही, संभवतः पास के जरिये, श्रद्धालु जा पाएंगे। इस संबंध में ट्रस्ट के पदाधिकारी लगातार मंथन कर रहे हैं।
यह संग्रहालय न केवल रामकथा और आंदोलन के इतिहास को संरक्षित करेगा, बल्कि यह करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक ज्ञानवर्धक और आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र भी बनेगा।