काशी में 'वेस्ट टू वंडर' की अनोखी पहल कबाड़ से बनी कलाकृतियों से चमक रहे चौराहे और सड़कें

वाराणसी में 'वेस्ट टू वंडर' पहल के तहत शहर के 37 चौराहों और सड़कों पर कबाड़ (स्क्रैप) से बनी आकर्षक कलाकृतियां लगाई गई हैं। ये स्कल्पचर न केवल शहर की सुंदरता बढ़ा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं और काशी के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाते हैं।

काशी में 'वेस्ट टू वंडर' की अनोखी पहल  कबाड़ से बनी कलाकृतियों से चमक रहे चौराहे और सड़कें

Varanasi News : धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी अब एक अनोखी पहल के साथ अपनी सुंदरता को निखार रही है। जिले की सड़कों और चौराहों पर अब सिर्फ सामान्य मूर्तियां नहीं, बल्कि कबाड़ (स्क्रैप) से तैयार की गई कलाकृतियां स्थापित की जा रही हैं। ये स्कल्पचर न केवल शहर की पहचान बनेंगे, बल्कि 'वेस्ट टू वंडर' (कबाड़ से कमाल) के सिद्धांत के तहत पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देंगे।


रिसाइकल और रीयूज का नायाब उदाहरण

वाराणसी में 'रिसाइकल' और 'रीयूज' के माध्यम से अनुपयोगी स्क्रैप का इस्तेमाल कर अद्भुत कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं। शहर के 37 चौराहों और सड़कों पर ये स्कल्पचर स्थापित किए जा चुके हैं। यह पहल बनारस आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों दोनों के लिए एक नायाब अनुभव है, क्योंकि ये कलाकृतियां सिर्फ सजावट के लिए नहीं, बल्कि शहर की पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक महत्व, हस्तकला, खेल और परंपरा जैसे विशिष्ट पहलुओं को भी दर्शाएंगी।


सहयोग और विस्तार

इस अभिनव परियोजना को वाराणसी विकास प्राधिकरण, बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, रेल मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से साकार किया जा रहा है। अब तक कुल 60 स्कल्पचर बनाए जा चुके हैं, जिनमें से 35 को स्थापित किया जा चुका है और शेष 25 जल्द ही लगाए जाएंगे। क्षेत्र विशेष में लगी प्रत्येक मूर्ति के साथ एक संदेश भी जुड़ा होगा, जिससे आमजन को उस स्थान के महत्व और मूर्ति के उद्देश्य के बारे में जानकारी मिल सकेगी।


कलाकृतियां देंगी सामाजिक संदेश

ये स्कल्पचर सिर्फ सौंदर्य ही नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि समाज को महत्वपूर्ण संदेश भी देंगे। महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, खेल, मिलेट्स (मोटे अनाज), योग और हस्तशिल्प जैसे मुद्दों पर ये कलाकृतियां आमजन को जागरूक करेंगी। वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि कबाड़ से बनी ये कलाकृतियां न केवल शहर की सुंदरता में चार चांद लगा रही हैं, बल्कि यह भी दिखा रही हैं कि रचनात्मकता और रीयूज के माध्यम से बेकार पड़ी वस्तुओं को भी मूल्यवान और आकर्षक बनाया जा सकता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी प्रभावी ढंग से दिया जा रहा है।

शहर में कुल 60 स्थानों पर पत्थर, फाइबर और मेटल से बने ये स्कल्पचर लगाए जा रहे हैं, जो वाराणसी को एक नया और आधुनिक चेहरा दे रहे हैं, जहाँ कला और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल रहे हैं।