Puri Rath Yatra : रथयात्रा में हृदय विदारक भगदड़ 3 भक्तों की मौत, 50 घायल; CM माझी ने मांगी माफी, 2 बड़े अफसर सस्पेंड
ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा के बाद गुंडिचा मंदिर के सामने भगदड़ मच गई, जिसमें 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 50 घायल हो गए। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने घटना पर माफी मांगी है, जिसके बाद पुरी के कलेक्टर-SP का तबादला कर दिया गया और 2 अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

Puri Rath Yatra Stampede : आस्था के महाकुंभ, ओडिशा के पुरी में चल रही ऐतिहासिक जगन्नाथ रथयात्रा के बाद एक बेहद दुखद घटना सामने आई है। रविवार तड़के गुंडिचा मंदिर के सामने मची भगदड़ में 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 50 अन्य घायल हो गए। घायलों में 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस हृदय विदारक घटना ने जहां पूरे देश को झकझोर दिया है, वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने घटना पर खेद जताते हुए व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी है। राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पुरी के कलेक्टर और SP का तबादला कर दिया है, साथ ही DCP और कमांडेंट को निलंबित भी किया गया है।
क्या हुआ उस मनहूस सुबह?
हादसा जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर के सामने हुआ। जानकारी के अनुसार, शुक्रवार (27 जून) को शुरू हुई रथयात्रा के तीनों रथ — भगवान बलभद्र का तालध्वज, देवी सुभद्रा का दर्पदलन और भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ — गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके थे। हालांकि, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ पहले ही स्थान पर आ चुके थे, लेकिन भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ बाद में पहुंचा।
नंदीघोष रथ के पहुंचने के साथ ही उसके दर्शन करने और रथ को छूने की श्रद्धालुओं में जबरदस्त होड़ लग गई। सुबह करीब 4 बजे, जब लाखों की संख्या में भक्त गुंडिचा मंदिर के पास जमा थे, तभी भीड़ का दबाव अचानक इतना बढ़ गया कि भगदड़ मच गई। चश्मदीदों के मुताबिक, इसी दौरान अनुष्ठान के लिए सामग्री ले जा रहे दो ट्रकों का भीड़भाड़ वाले स्थान पर घुसना भी अफरा-तफरी का कारण बना। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और कई लोग कुचल गए।
मृतकों की पहचान बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास के रूप में हुई है। उनके शव पुरी मेडिकल कॉलेज में रखे गए हैं।
प्रशासन पर उठे सवाल: बदइंतजामी की कहानी चश्मदीदों की जुबानी
हादसे के बाद घटनास्थल पर मौजूद लोगों और चश्मदीदों ने प्रशासन की बदइंतजामी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, घटना के समय वहाँ पर्याप्त पुलिस बल तैनात नहीं था।
एक चश्मदीद ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि जब हादसा हुआ तो किसी भी तरह की तुरंत मदद नहीं मिली। इस व्यक्ति की पत्नी की इसी भगदड़ में मौत हो गई। उसने आरोप लगाया कि न तो फायर अधिकारी, न रेस्क्यू टीम और न ही अस्पताल की टीम ने समय पर मदद पहुंचाई। एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि लोग एक-दूसरे पर गिरते गए और कुछ तो देखते ही देखते बेहोश हो गए। उसने यह भी बताया कि जब वह सूचना केंद्र पर पहुंचा, तो उसे कहा गया कि वे कुछ नहीं कर सकते, और एंबुलेंस घटनास्थल से करीब एक किलोमीटर दूर खड़ी थी।
पुरी के एक अन्य निवासी ने भी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि इंतजाम बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। उनके मुताबिक, वीआईपी लोगों को मंदिर में एंट्री के लिए अलग रास्ता बनाया गया और आम लोगों से वहां से निकलने को कहा गया, जिससे भीड़ काफी बढ़ गई। ट्रैफिक मैनेजमेंट का मुद्दा भी सामने आया, आरोप है कि अनाधिकारिक पास लगे वाहन मंदिर के करीब तक आ गए थे, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
मुख्यमंत्री ने मांगी माफी, सख्त कार्रवाई के निर्देश
इस दुखद घटना के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "मैं और मेरी सरकार भगवान जगन्नाथ के सभी भक्तों से व्यक्तिगत रूप से क्षमा मांगते हैं। यह लापरवाही माफ करने लायक नहीं है।"
मुख्यमंत्री की माफी के बाद राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। पुरी के कलेक्टर और SP का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया गया है। चंचल राणा को नया कलेक्टर और पिनाक मिश्रा को नया SP बनाया गया है। इसके अलावा, पुरी के DCP और कमांडेंट को निलंबित कर दिया गया है, जो इस बात का संकेत है कि सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है।
शुक्रवार को भी बिगड़ी थी सैकड़ों श्रद्धालुओं की तबीयत
यह भगदड़ रथयात्रा के दौरान हुई दूसरी बड़ी घटना है। इससे पहले शुक्रवार (27 जून) को भी देवी सुभद्रा के रथ के आसपास भीड़ का दबाव बढ़ने से 625 से ज्यादा श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी। प्रशासन के मुताबिक, उस दिन 70 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, जिनमें से 9 की हालत गंभीर बताई जा रही थी। ये घटनाएं भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों में खामियों को उजागर करती हैं।
जगन्नाथ रथयात्रा: पहले भी हुए हैं दुखद हादसे
पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा अपनी भव्यता और लाखों भक्तों की उपस्थिति के लिए जानी जाती है, लेकिन अतीत में भी यहाँ भगदड़ जैसे दुखद हादसे हो चुके हैं:
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2024 में भी भगदड़: इसी साल, जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन 7-8 जुलाई को किया गया था। रथयात्रा के पहले दिन 7 जुलाई को 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई थी। इस दौरान घबराहट की वजह से 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे।
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2008 में 6 श्रद्धालुओं की मौत: 2008 में भी, 4-5 जुलाई को आयोजित यात्रा के पहले दिन भगवान जगन्नाथ मंदिर के बाहर सिंहद्वार के सामने भगदड़ मच गई थी, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 12 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मरने वालों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं। यह हादसा उस समय हुआ था जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को रथयात्रा के लिए मंदिर से बाहर लाया जा रहा था।
ये बार-बार होने वाले हादसे बताते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक जगन्नाथ रथयात्रा में भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन व्यवस्थाओं को और अधिक मजबूत करने की सख्त आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना उन सभी भक्तों के लिए एक बड़ा सबक है, जो आस्था के इस महाकुंभ में शामिल होते हैं, और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है कि वह लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करे।