चीन ने ताइवान की उपराष्ट्रपति पर कार हमले की रची थी साजिश: चेक खुफिया एजेंसी का दावा

चेक गणराज्य की सैन्य खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि चीन ने बीते साल प्राग यात्रा के दौरान ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बी-खिम पर कार टक्कर के ज़रिए हमला करने की साजिश रची थी। यह यूरोप में चीन की सबसे गंभीर कूटनीतिक हरकतों में से एक बताई जा रही है, जिस पर चीन ने 'वन चाइना पॉलिसी' के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

चीन ने ताइवान की उपराष्ट्रपति पर कार हमले की रची थी साजिश: चेक खुफिया एजेंसी का दावा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

चेक गणराज्य की सैन्य खुफिया एजेंसी ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि बीते साल ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बी-खिम की प्राग यात्रा के दौरान चीन ने उन पर हमला करने की साजिश रची थी। रिपोर्ट के अनुसार, चीन की योजना एक प्रतीकात्मक कार टक्कर के माध्यम से ह्सियाओ को डराना था, ताकि एक अंतरराष्ट्रीय संदेश दिया जा सके। हालाँकि यह साजिश अमल में नहीं लाई जा सकी, लेकिन इसे यूरोप में चीन की अब तक की सबसे गंभीर कूटनीतिक हरकतों में से एक बताया जा रहा है।


साजिश का खुलासा और निगरानी के सबूत

चेक मिलिट्री इंटेलिजेंस प्रमुख पेत्र बार्तोव्स्की के अनुसार, चीन की योजना ह्सियाओ की कार से जानबूझकर टक्कर मारने की थी। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि एक चीनी राजनयिक ने प्राग की सड़कों पर रेड लाइट तोड़ते हुए ताइवान प्रतिनिधिमंडल का पीछा किया, जिससे उनकी निगरानी में होने की पुष्टि हुई।

चेक सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि चीनी अधिकारी ताइवान की उपराष्ट्रपति के पूरे कार्यक्रम, बैठकों और मुलाकातों की जानकारी जुटा रहे थे। वे यह भी दस्तावेज़ीकरण कर रहे थे कि ह्सियाओ किन-किन चेक नेताओं से मिलीं। हालाँकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि ह्सियाओ किसी प्रत्यक्ष खतरे में नहीं थीं, क्योंकि स्थानीय सुरक्षा बल पूरी तरह से तैनात और सतर्क थे। फिर भी, चीन की इस हरकत को कूटनीतिक मर्यादाओं का गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है।


चीन की प्रतिक्रिया और यूरोपीय देशों पर असर

जैसे ही यह रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, चीन ने चेक गणराज्य पर 'वन चाइना पॉलिसी' के उल्लंघन का आरोप लगाया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि प्राग द्वारा ताइवान के स्वतंत्रता समर्थकों को मंच देना एक गंभीर राजनीतिक गलती है।

यह खुलासा चेक गणराज्य में ताइवान समर्थक भावनाओं को और मजबूत कर सकता है। बीते कुछ वर्षों में चीन के बढ़ते दबाव के खिलाफ यूरोपीय देशों में ताइवान को लेकर सहानुभूति बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रकरण ताइवान और यूरोपीय देशों के रिश्तों में नई गति ला सकता है, वहीं चीन के खिलाफ यूरोपीय सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता भी बढ़ेगी।

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