मेटा का 'क्लाउड प्रोसेसिंग' फीचर: आपकी प्राइवेट तस्वीरों पर AI की नज़र
मेटा का नया 'क्लाउड प्रोसेसिंग' फीचर आपकी फोन गैलरी की उन प्राइवेट तस्वीरों तक पहुँच चाहता है जिन्हें आपने कभी फेसबुक या इंस्टाग्राम पर शेयर नहीं किया। मेटा का दावा है कि यह क्रिएटिव सुझावों के लिए है, लेकिन यह आपकी प्राइवेसी पर गंभीर सवाल उठाता है, क्योंकि AI इन तस्वीरों का इस्तेमाल अपनी ट्रेनिंग के लिए कर सकता है।

मेटा के प्रमुख प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम एक बार फिर अपनी प्राइवेसी नीतियों को लेकर विवादों में घिर गए हैं। अब तक यह माना जाता था कि मेटा का AI केवल फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड की गई सार्वजनिक तस्वीरों का उपयोग अपने सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए करता है। लेकिन, अब एक नया फीचर सामने आया है, जिसके तहत मेटा आपकी फोन गैलरी की उन तस्वीरों तक भी पहुँच चाहता है जिन्हें आपने कभी इन प्लेटफॉर्म्स पर साझा नहीं किया है।
क्या है 'क्लाउड प्रोसेसिंग' फीचर और इसका मतलब?
हाल ही में कुछ फेसबुक यूजर्स को एक नया पॉप-अप दिखाई दिया, जिसमें उन्हें 'क्लाउड प्रोसेसिंग' फीचर को ऑन करने के लिए कहा गया था। इस फीचर को ऑन करते ही मेटा को आपकी फोन गैलरी को स्कैन करने की अनुमति मिल जाती है। इसका मतलब है कि आपकी वे सभी तस्वीरें, जिन्हें आपने कभी शेयर नहीं किया, सीधे मेटा के क्लाउड सर्वर पर चली जाती हैं।
मेटा का दावा है कि इस फीचर के ज़रिए वे आपको 'क्रिएटिव आइडियाज' देंगे, जैसे फोटो कोलाज, जन्मदिन या शादी जैसे अवसरों के लिए स्पेशल फिल्टर्स, और AI-जनरेटेड सुझाव। सुनने में यह अच्छा लग सकता है, लेकिन इसका असली उद्देश्य कहीं ज़्यादा गहरा है।
आपकी तस्वीरें, मेटा AI की ट्रेनिंग के लिए
जब आप इस फीचर को ऑन करते हैं, तो मेटा को आपकी अनशेयर की गई तस्वीरों का विश्लेषण करने की खुली छूट मिल जाती है। इसमें चेहरों की पहचान, तस्वीरों में मौजूद वस्तुएं, और तस्वीरें कब व कहाँ क्लिक की गई थीं, जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल हैं।
मेटा का कहना है कि यह एक 'ऑप्ट-इन' फीचर है, यानी आप चाहें तो इसे कभी भी बंद कर सकते हैं। लेकिन, सवाल यह उठता है कि क्या अधिकांश यूजर्स इन शर्तों को पढ़ते हैं? क्या उन्हें वाकई अंदाजा होता है कि उनकी निजी तस्वीरें अब एक AI सिस्टम के सामने खुल रही हैं?
2007 से डेटा का इस्तेमाल और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताएं
मेटा पहले ही स्वीकार कर चुका है कि उसने 2007 से अब तक फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड की गई सभी सार्वजनिक तस्वीरों का उपयोग AI को प्रशिक्षित करने में किया है। हालांकि, 'सार्वजनिक' का मतलब क्या है, यह मेटा ने कभी स्पष्ट नहीं किया।
यह सवाल भी उठता है कि मेटा किसे 'एडल्ट' मान रहा है। यदि कोई व्यक्ति 2007 में 13 साल का था और अब उसका डेटा AI ट्रेनिंग में इस्तेमाल हो रहा है, तो क्या यह नैतिक रूप से सही है?
इससे बचने का रास्ता और आगे क्या करें?
अच्छी बात यह है कि आप इस 'क्लाउड प्रोसेसिंग' फीचर को फेसबुक की सेटिंग्स में जाकर बंद कर सकते हैं। मेटा का दावा है कि यदि कोई यूजर इस विकल्प को बंद करता है, तो वे 30 दिनों के भीतर क्लाउड से सभी अनशेयर की गई तस्वीरों को हटा देंगे।
लेकिन, मुख्य चिंता इस बात की है कि इस फीचर को एक सहायक उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तव में यह आपकी प्राइवेसी की सीमाओं को चुपचाप पार कर रहा है। आज AI हर क्षेत्र में घुसपैठ कर रहा है—चैटिंग, शॉपिंग, फोटोग्राफी, और अब आपकी निजी गैलरी भी। कंपनियाँ अब इस कोशिश में हैं कि यूजर से ज़्यादा से ज़्यादा डेटा लिया जाए ताकि उनके AI सिस्टम और अधिक स्मार्ट बन सकें।
मेटा का यह नया कदम यह सवाल उठाता है कि क्या हम वाकई अपनी प्राइवेसी के महत्व को समझते हैं? क्या एक आसान-से दिखने वाला फीचर हमारी गोपनीयता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है?
आपको क्या करना चाहिए: फेसबुक की सेटिंग्स में जाकर 'Cloud Processing' या 'Camera Roll Access' जैसे विकल्पों की जांच करें। यदि आपको यह फीचर ऑन मिलता है, तो इसे तुरंत बंद कर दें।
क्या आप मेटा की प्राइवेसी नीतियों या AI के डेटा उपयोग से संबंधित किसी और जानकारी के बारे में जानना चाहेंगे?