UP : नेपाल से पाकिस्तान बॉर्डर तक पहुंच रहा चीन का सोना, एक किलो में 13.50 लाख का मुनाफा कमा रहे स्मगलर

उत्तर प्रदेश से सटी नेपाल सीमा इन दिनों चीन से आने वाले सोने की तस्करी का नया केंद्र बन गई है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती से चल रहीं अवैध बसों व ट्रेवलर को माध्यम बनाकर तस्कर चीन के सोने को नेपाल के रास्ते भारत और फिर पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर तक पहुंचा रहे हैं। इस धंधे में एक किलो सोने पर 13.50 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा रहा है।

UP : नेपाल से पाकिस्तान बॉर्डर तक पहुंच रहा चीन का सोना, एक किलो में 13.50 लाख का मुनाफा कमा रहे स्मगलर

उत्तर प्रदेश से सटी नेपाल सीमा इन दिनों अवैध सोने की तस्करी का नया हॉटस्पॉट बन चुकी है। सुरक्षा एजेंसियों की नाक के नीचे, नेपाल के रास्ते चीन का सोना धड़ल्ले से भारत में प्रवेश कर रहा है और पंजाब में पाकिस्तान सीमा तक पहुंचाया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि तस्करी के लिए अब अवैध निजी बसें और ट्रेवलर मुख्य माध्यम बन गए हैं, जो महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जैसे सीमावर्ती जिलों से संचालित हो रही हैं। तस्कर इस धंधे में एक किलो सोने पर 13.50 लाख रुपये तक का मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।


तस्करी का बदला तरीका: 'बट्टा शून्य' के पीछे का खेल

सोने की तस्करी के जानकार बताते हैं कि अब 'बट्टा' (मनी एक्सचेंज में कमीशन) शून्य है, जिसका अर्थ है कि सोने को पिघलाकर या पुराने फार्मूले के तहत सीधे बड़े पैमाने पर तस्करी नहीं हो रही है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि तस्करी रुकी है, बल्कि इसका तरीका बदल गया है। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के अनुसार, बिहार में उनकी ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद जब ट्रेनों के माध्यम से हो रही तस्करी रुकी, तो तस्करों ने अपना रुख उत्तर प्रदेश से लगती नेपाल सीमा की ओर कर लिया है।


सुरक्षा के नाम पर दिखावा: रूपईडीहा बॉर्डर का आँखों देखा हाल

सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर, "संपन्न भारत न्यूज़" की टीम ने बृहस्पतिवार (26 जून 2025) को नेपाल से सटे बहराइच जिले के रूपईडीहा कस्बे का दौरा किया। शाम सात बजे का समय था, हल्की चहल-पहल थी, और इंटरनेशनल चेक पोस्ट (ICP) के पास सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दो सिपाही नजर आए।

जो दिखा, वह बेहद चौंकाने वाला था। पुलिस स्टेशन के आसपास ही आठ अवैध बस स्टैंड चल रहे थे, जहाँ से पंजाब, चंडीगढ़, गुजरात, राजस्थान, हैदराबाद और गोवा जैसे दूरदराज के राज्यों के लिए अवैध बसें और ट्रेवलर धड़ल्ले से निकल रही थीं। हमारी टीम भी चंडीगढ़ नंबर की एक ट्रेवलर में सवार हुई, जो दिल्ली जा रही थी।

26 सीटर ट्रेवलर में 35 लोग ठूंसे हुए थे, जिनमें 12 नेपाली युवतियां भी शामिल थीं। ट्रेवलर में कौन सवार हो रहा है, डिक्की में क्या सामान रखा है—इसकी जाँच करने वाला कोई नहीं था। बॉर्डर से सटे इस अवैध स्टैंड पर नेपाल से कुछ लोग तो मुख्य गेट से इतर अवैध रास्तों से भी आते दिखे। ट्रेवलर तेज गति से आगे बढ़ी। इस बीच नानपारा, मिहिंपुरवा और परसा में कुछ सिपाहियों ने टार्च की रोशनी दिखाकर चालक को रोका। चालक ने झट से मुट्ठी बढ़ाई (संकेत में कुछ देने का इशारा) और ट्रेवलर आगे निकल गया। यह सब देखकर साफ हो गया कि यह सब कैसे चल रहा है।


अवैध बसों की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन

पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह, जिन्होंने नेपाल सीमा पर सेवाएं दी हैं, बताते हैं कि बॉर्डर से सटे कस्बों से अवैध बसों और ट्रेवलर का संचालन सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने बताया कि तस्करी में इनकी संलिप्तता पहले भी उजागर हो चुकी है। अब ये वाहन तस्करी का सोना नेपाल के रास्ते कोलकाता, जयपुर, दिल्ली, आगरा, कानपुर, लखनऊ और गोरखपुर जैसे शहरों तक भी पहुंचा रहे हैं।

सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि यह चीन का सोना पहले नेपाल पहुंचता है, और फिर नेपाल से भारत के रास्ते पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर तक पहुंचाया जा रहा है। ये अवैध निजी बसें और ट्रेवलर, जो पर्यटक परमिट के नाम पर चल रही हैं, तस्करों के लिए एक सुरक्षित और आसान माध्यम बन गई हैं।


मुनाफे का खेल: एक किलो पर 13.50 लाख

सिद्धार्थनगर के ककरहवा बॉर्डर पर सक्रिय एक तस्कर असगर ने इस अवैध धंधे में होने वाले भारी मुनाफे का खुलासा किया। उसने बताया कि चीन में इस समय 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग 84 हजार रुपये है। वहीं, भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत 98,594 रुपये है। इसका मतलब है कि 10 ग्राम चीन का सोना नेपाल के रास्ते भारत लाने पर औसतन 14,448 रुपये की बचत हो रही है। यदि इसे एक किलो में तब्दील किया जाए, तो यह अंतर बढ़कर 14.48 लाख रुपये हो जाता है। तस्करों के अनुसार, प्रति किलो एक लाख रुपये का खर्च निकालने के बाद भी उन्हें करीब 13.50 लाख रुपये की शुद्ध कमाई हो रही है। यही वजह है कि चीन का सोना धड़ल्ले से नेपाल होते हुए भारत के लुधियाना, गोवा और चंडीगढ़ जैसे शहरों तक पहुंच रहा है।

नेपाल गोल्ड एंड सिल्वर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अनुसार, तस्कर वजन के खेल में भी मुनाफा कमा रहे हैं। भारत में एक तोला सोने का वजन 10 ग्राम होता है, जबकि नेपाल में यह 11.664 ग्राम है। इस 1.664 ग्राम अतिरिक्त वजन का लाभ भी तस्कर उठा रहे हैं।


डीआरआई की कार्रवाई और आंकड़े क्या कहते हैं?

यह तो सिर्फ एक उदाहरण है। डीआरआई ने 10 मई 2025 को मुंबई निवासी हितेश, राजेश कुमार और विजय कुमार के पास से 18 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया था। ये तीनों बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन से ट्रॉली बैग में कपड़ों के अंदर सोना छिपाकर ले जा रहे थे। यह सोना हांगकांग से नेपाल पहुंचा था और फिर वहां से बिहार लाया गया था। इसे मुंबई में पिघलाकर राजस्थान के कोटा में आभूषण बनाए जाने थे, और फिर पंजाब, हिमाचल व लखनऊ के अलग-अलग व्यापारियों को बेचना था।

आंकड़े भी इस गंभीर समस्या की पुष्टि करते हैं:

  • राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के अनुसार, भारत में वित्तीय वर्ष 2024 में 4,869.6 किलोग्राम तस्करी का सोना जब्त किया गया।

  • ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल से हर साल करीब 10 टन सोने की तस्करी भारत में की जाती है।

  • तस्करी के इस सोने की शुद्धता 99.9% होती है, जिसे बाजार में उच्चतम स्तर पर माना जाता है।

यह पूरी स्थिति उत्तर प्रदेश की नेपाल सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था और तस्करों के नए तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल उठाती है। इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाना देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा दोनों के लिए बेहद ज़रूरी है।