वाराणसी में सीवर डायवर्जन : रोपवे निर्माण के दौरान क्षतिग्रस्त घोड़ा नाले की मरम्मत का काम शुरू
वाराणसी के गोदौलिया चौराहे पर रोपवे की पाइलिंग के दौरान क्षतिग्रस्त हुए घोड़ा नाले की मरम्मत का काम शुरू हो गया है। इसके लिए 25 फीट नीचे से सीवर के पानी को 120 मीटर पहले ही डायवर्ट किया जा रहा है। यह शाही नाले का हिस्सा है, जिसकी मरम्मत बारिश के मौसम में एक चुनौती है।

Varanasi News : वाराणसी के गोदौलिया चौराहे के पास रोपवे की पाइलिंग के दौरान लगभग 25 फीट नीचे क्षतिग्रस्त हुए घोड़ा नाले की मरम्मत का काम शुरू हो गया है। इस मरम्मत कार्य के लिए, नाले में आने वाले सीवर के पानी को 120 मीटर पहले ही डायवर्ट किया जा रहा है ताकि मरम्मत के दौरान नाले पर सीवर का अत्यधिक दबाव न पड़े।
सीवर डायवर्जन की प्रक्रिया
जल निगम के इंजीनियरों ने बताया कि लक्सा रोड पर निदान केंद्र के पास से पंपिंग सेट लगाकर सीवर के पानी को घोड़ा नाले से लगभग 100 मीटर आगे शाही नाले में भेजा जा रहा है। यह अस्थायी व्यवस्था घोड़ा नाले की मरम्मत को सुचारू रूप से चलाने के लिए की गई है।
शाही नाले का ऐतिहासिक महत्व और चुनौतियां
घोड़ा नाला, शाही नाले का ही एक हिस्सा है, जिस पर शहर की पूरी सीवर व्यवस्था निर्भर करती है। शाही नाले को मुगलों ने सुरंग के रूप में विकसित किया था और बाद में ब्रिटिश शासन ने इसे सीवर व्यवस्था में बदल दिया। 200 साल से भी अधिक पुरानी इस नाले की प्रणाली कई जगहों पर लोगों द्वारा अपनी सीवर लाइनें जोड़ने के कारण क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसकी मरम्मत के लिए पहले रोबोटिक कैमरों का भी उपयोग किया गया था।
जल निगम के इंजीनियरों के अनुसार, नाले के अंदर कुछ भाग काफी खतरनाक हैं, और बारिश के मौसम में इसकी मरम्मत करना किसी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि, सभी सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं और काम को जल्द से जल्द, 40 से 50 दिनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
लापरवाही का नतीजा
अधिकारियों ने बताया कि यह घटना रोपवे का निर्माण कर रही एजेंसी के लापरवाह इंजीनियरों के कारण हुई थी, जब पाइलिंग के दौरान नाले को नुकसान पहुंचा। अब इस क्षति को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।
यह मरम्मत कार्य वाराणसी की पुरानी सीवर प्रणाली के रखरखाव और शहर की बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण गोदौलिया जैसे क्षेत्रों में।