यूपी: बेबस बेटे ने मां का शव स्ट्रेचर पर रखकर 1 KM पैदल पुल पार किया, दिल दहला देने वाला वीडियो वायरल
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ यमुना पुल बंद होने के कारण एक बेटे को अपनी मृत मां का शव स्ट्रेचर पर रखकर 1 किलोमीटर पैदल चलकर पुल पार करना पड़ा। इस मार्मिक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

हमीरपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक बेहद मार्मिक घटना सामने आई है, जहाँ एक बेटे को अपनी मृत मां के शव को स्ट्रेचर पर रखकर करीब एक किलोमीटर लंबा यमुना पुल पैदल पार करना पड़ा। पुल मरम्मत के चलते बंद था और एंबुलेंस को आगे जाने की इजाजत नहीं मिली, जिसके बाद बेटे की बेबसी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
क्या है पूरा मामला?
हमीरपुर जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के टेढ़ा गांव निवासी बिंदा अपनी मां शिव देवी के शव को कानपुर से एंबुलेंस में लेकर घर हमीरपुर आ रहे थे। उनकी मां का पैर फ्रैक्चर हो गया था और उनका कानपुर में इलाज चल रहा था, जहाँ शनिवार सुबह उनकी मौत हो गई थी।
जब एंबुलेंस हमीरपुर जिला मुख्यालय स्थित यमुना पुल के पास पहुंची, तो बिंदा को पता चला कि पुल मरम्मत के कारण बंद है। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुल बंद है। बिंदा ने पुल की मरम्मत करने वाली कंपनी के कर्मियों से शव ले जा रही एंबुलेंस को निकालने का अनुरोध किया, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
बेबसी और संघर्ष
मजबूरन, बिंदा को एंबुलेंस चालकों की मदद से अपनी मां के शव को स्ट्रेचर पर लादकर पुल पार करने का फैसला करना पड़ा। करीब एक किलोमीटर लंबे इस पुल को पार करने में उन्हें तीन से चार बार स्ट्रेचर को बीच रास्ते में रखकर बैठना पड़ा। बेबसी और गम के बीच आंसू बहाते हुए बिंदा ने यह कठिन रास्ता तय किया। पुल पार करने के बाद उन्होंने एक ऑटो से शव को अपने गांव ले जाया।
वायरल वीडियो और खड़े हुए सवाल
बेटे द्वारा अपनी मां के शव को इस तरह पुल पार ले जाने का मार्मिक वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसने हर किसी को झकझोर दिया है। लोग पुल की मरम्मत करने वाली कंपनी पीएनसी और प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि नियमों का पालन केवल आम लोगों पर लागू होता है, जबकि मंत्रियों और अधिकारियों के लिए पुल खोल दिए जाते हैं।
कंपनी के अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं, जिससे उनकी कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है। यह घटना मानवीय संवेदनशीलता और आपातकालीन सेवाओं के लिए उचित व्यवस्था की कमी को उजागर करती है।