सत्येंद्र कुमार गोंड का वाराणसी में निधन, 10 दिन पहले हुआ था जौनपुर ट्रांसफर।

चंदौली के हेड कांस्टेबल सत्येंद्र कुमार गोंड का वाराणसी में निधन, 10 दिन पहले हुआ था जौनपुर ट्रांसफर।

सत्येंद्र कुमार गोंड का वाराणसी में निधन, 10 दिन पहले हुआ था जौनपुर ट्रांसफर।

वाराणसी: चंदौली जिले के पिपरी गांव के रहने वाले हेड कांस्टेबल सत्येंद्र कुमार गोंड का बुधवार को वाराणसी के एक निजी अस्पताल में आकस्मिक निधन हो गया। उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

सत्येंद्र कुमार गोंड ने वर्ष 2012 में पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर अपनी सेवा शुरू की थी। अपनी कर्तव्यनिष्ठा और लगन के चलते उन्होंने 10 वर्षों के बाद हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नति प्राप्त की थी। दुर्भाग्यवश, 10 दिन पहले ही उनका तबादला भदोही से जौनपुर के शाहगंज कोतवाली में हुआ था। वह कुछ दिनों की छुट्टी लेकर अपने गांव आए हुए थे।

बुधवार की सुबह अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उनके परिवार ने बिना देर किए उन्हें वाराणसी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद, इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। हेड कांस्टेबल सत्येंद्र अपने पीछे अपनी माता विद्यावती देवी, पत्नी प्रियंका और दो मासूम बच्चे - लकी और युवराज - को छोड़ गए हैं। उनके छोटे भाई धर्मेंद्र कुमार भी पुलिस विभाग में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं और वर्तमान में आजमगढ़ में तैनात हैं। बड़े भाई की दुखद खबर मिलते ही वे तुरंत अपने गांव के लिए रवाना हो गए।

हेड कांस्टेबल सत्येंद्र गोंड के पिता, भगवान दास, ने अपने बेटे को याद करते हुए बताया कि उन्होंने बड़ी मेहनत और संघर्षों के साथ सत्येंद्र का पालन-पोषण किया था। गरीबी के दिनों में भी उन्होंने सत्येंद्र की हर इच्छा को पूरा करने की कोशिश की थी। लेकिन बुढ़ापे में अपने जवान बेटे की मौत का सदमा उनके लिए असहनीय है।

उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा नरेंद्र कुमार ने सांसारिक मोह-माया त्यागकर साधु का जीवन अपना लिया है, और अब दूसरे बेटे सत्येंद्र की अचानक मौत ने उन्हें और भी अकेला कर दिया है। उनका सबसे छोटा बेटा धर्मेंद्र आजमगढ़ में अपनी ड्यूटी पर है। इस कठिन समय में, भगवान दास खुद को एक मजबूत स्तंभ के रूप में अपने परिवार के साथ खड़े रहने की कोशिश कर रहे हैं।