कानपुर, उत्तर प्रदेश: कानपुर में परिषदीय स्कूलों के विलय की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुँच गई है। पहले चरण में 142 स्कूलों को आपस में मिलाया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करना और शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना है, हालाँकि शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध जताया है।
विलय की प्रक्रिया और लक्ष्य
कानपुर में कुल 195 परिषदीय स्कूलों को विलय के लिए चिह्नित किया गया है, जिनमें से 142 स्कूलों के विलय का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के स्तर से अगले सप्ताह सहमति मिलते ही विलय के आदेश जारी कर दिए जाएँगे, जिसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी अपने-अपने ब्लॉक में इस प्रक्रिया को लागू करेंगे।
BSA सुरजीत कुमार सिंह ने बताया कि 1 से 20 छात्रों की संख्या वाले स्कूलों और शिक्षकों की सूची तैयार की गई है। इस विलय से जहाँ संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, वहीं शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद है।
छात्र-शिक्षक अनुपात का असंतुलन
कानपुर नगर के परिषदीय स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात काफी असंतुलित है। कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से अधिक है। उदाहरण के लिए, कुछ स्कूलों में केवल 15 बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक और एक शिक्षा मित्र तैनात हैं। नियमों के अनुसार, प्राथमिक स्कूलों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। विभाग इस असंतुलन को ठीक करने के लिए विलय पर ज़ोर दे रहा है।
शिक्षक संगठनों का विरोध
इस विलय प्रक्रिया का शिक्षक संगठनों ने विरोध करने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि इससे शिक्षकों और छात्रों दोनों को असुविधा हो सकती है। हालाँकि, विभाग का लक्ष्य है कि विलय के बाद स्कूलों में संसाधनों का समुचित वितरण हो और शिक्षा व्यवस्था अधिक प्रभावी बन सके।
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