Varanasi News : 1 किलो आम की सुरक्षा में 2 पहरेदार और CCTV, कीमत लाखों में!

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक गांव में एक किलो मियाज़ाकी आम की सुरक्षा के लिए दो पहरेदार दिन-रात तैनात हैं और एक सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है। इस दुर्लभ आम की कीमत लाखों में बताई जा रही है।

Varanasi News : 1 किलो आम की सुरक्षा में 2 पहरेदार और CCTV, कीमत लाखों में!

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के चोलापुर ब्लॉक के बबियांव गांव में एक अनोखा नज़ारा देखने को मिल रहा है। यहां एक किलो मियाज़ाकी आम की सुरक्षा के लिए दिन-रात पहरा दिया जा रहा है। इस बेशकीमती आम की रखवाली के लिए दो लोगों को भाले के साथ तैनात किया गया है, और साथ ही एक सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है। आम की रखवाली करने वाले राम प्रताप (45 वर्ष) और कृष्ण कुमार (22 वर्ष) पिछले दस दिनों से इस काम में जुटे हैं। मियाज़ाकी के एक छोटे से पेड़ में लगभग छह आम लगे हुए हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 300 से 400 ग्राम के बीच है। इस प्रकार, लगभग दो किलो आम के छह फलों की सुरक्षा के लिए दो पहरेदारों और एक सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था की गई है।

बबियांव गांव के रहने वाले शैलेन्द्र रघुवंशी एक नर्सरी चलाते हैं और प्रगतिशील किसान हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने मियाज़ाकी आम के दो पौधे मई 2021 में पुणे की एक कंपनी से मंगवाए थे, और एक पौधा दिसंबर 2021 में वाराणसी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के हाथों से लगवाया था।

शैलेन्द्र ने बताया कि शुरुआती छह महीनों तक उन्होंने इन पौधों को केवल इसलिए रखा ताकि यह देखा जा सके कि वे यहां के वातावरण के अनुकूल हो पाते हैं या नहीं। दिसंबर में उन्होंने इनका प्लांटेशन किया। दो साल पहले इन दो छोटे पेड़ों से मियाज़ाकी आम के बीस पौधे तैयार किए थे, और अब उन्होंने मियाज़ाकी आम के कई पौधे विकसित कर लिए हैं, जिन्हें वे एक हजार रुपये प्रति पौधे के हिसाब से बेचते भी हैं। चार साल बाद इन पेड़ों में आधा दर्जन आम आए हैं, जो अब बढ़ रहे हैं।

दो पहरेदार और सीसीटीवी सुरक्षा:

शैलेन्द्र फलदार वृक्षों के पौधे विकसित कर पूरे देश में बेचते हैं, इसलिए वे मियाज़ाकी आम को भी परखना और समझना चाहते हैं, खासकर फलों की प्रकृति और उसके व्यवहार को। उन्होंने बताया कि तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों को इस लखटकिया आम के बारे में जानकारी हो ही गई है, इसलिए इसकी सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि दो पहरेदार भाला लेकर इसकी रखवाली करते हैं, और सीसीटीवी कैमरे से भी लगातार निगरानी रखी जाती है।

क्यों जरूरी है आम की सुरक्षा?

शैलेन्द्र ने बताया कि चूंकि यह आम मूल रूप से जापान का है, इसलिए वे यह देखना चाहते हैं कि फलों के पकने तक कितने आम बच पाते हैं। इसके बाद वे इस फल की जांच बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) और आईएआरआई (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) में कराएंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि जापान की तुलना में यहां कितने मिनरल्स घटे या बढ़े हैं, और जलवायु का इस पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसके बाद ही वे मियाज़ाकी आम के उत्पादन के बारे में सोचेंगे। फिलहाल, यह शोध के स्तर पर है, इसलिए भी इसकी सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

लाखों में है कीमत:

मियाज़ाकी आम जापान के क्यूशू प्रांत के मियाजाकी क्षेत्र में उगाया जाता है। इसका आकार बड़ा होता है, और एक आम का वजन 300 ग्राम तक होता है। यह आम अप्रैल से अगस्त के बीच होता है और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है। इसमें बीटा कैरोटीन और फोलिक एसिड भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मियाज़ाकी आम की कीमत 1.5 लाख से 2.75 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है, जो इसे दुनिया के सबसे महंगे आमों में से एक बनाता है। इसी वजह से शैलेन्द्र रघुवंशी अपने खेत में लगे इस दुर्लभ आम की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।