Up News : वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर में रविदास मंदिर का 61वां स्थापना दिवस Sant Niranjan Das की उपस्थिति में भव्य आयोजन, लाखों भक्त उमड़े

वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर स्थित संत रविदास मंदिर में 61वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। संत निरंजन दास की उपस्थिति में अमृतवाणी पाठ, भजन-कीर्तन और गुरु दक्षिणा का आयोजन किया जा रहा है। देश-विदेश से लाखों भक्त उमड़े हैं।

Up News :  वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर में रविदास मंदिर का 61वां स्थापना दिवस Sant Niranjan Das की उपस्थिति में भव्य आयोजन, लाखों भक्त उमड़े

Varanasi Sant Ravidas Mandir : सीरगोवर्धनपुर स्थित संत रविदास मंदिर में आज (रविवार, 15 जून 2025) 61वां स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। मंदिर को विभिन्न प्रकार के फूलों और विद्युत झालरों से भव्य रूप से सजाया गया है। इस शुभ अवसर पर देश-विदेश से संगतों (भक्तों) के आने का सिलसिला लगातार जारी है, और सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन कर रहे हैं।


संत निरंजन दास ने लिया आशीर्वाद, देंगे गुरु दक्षिणा

आयोजन में शामिल होने के लिए संत रविदास धर्म के प्रमुख संत निरंजन दास आज मंदिर परिसर पहुँचे। उनके अनुयायियों ने पुष्प वर्षा और माल्यार्पण कर उनका भव्य स्वागत किया। संत निरंजन दास ने अपने वाहन से उतरने के बाद सीधे गुरु रविदास जी के चरणों में नमन कर उनका आशीर्वाद लिया और फिर अपनी गद्दी पर आसीन हुए, जहाँ उनके अनुयायियों ने उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।

मंदिर के ट्रस्टी के एल सरोआ ने बताया कि मंदिर परिसर के अंदर संगतों द्वारा अमृतवाणी का पाठ किया जा रहा है। स्थापना दिवस पर भजन-कीर्तन और पूजन का विशेष आयोजन किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि आज संत निरंजन दास सभी संगतों को आशीर्वचन देंगे। इसके अलावा, देश-विदेश से आए हुए सैकड़ों नए अनुयायियों को गुरु दक्षिणा भी देंगे। गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम 16 जून को रखा गया है, जिसके लिए दूर-दूर से लोग पहुँचे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, संत निरंजन दास अभी दो दिनों तक सीर गोवर्धनपुर में ही रहेंगे।


अनुयायियों की आस्था और उद्गार

नीदरलैंड से पहुँची चरण बदन बंगा ने बताया कि वह रविदास मंदिर के 61वें स्थापना दिवस पर पहुँची हैं और उनके साथ कुछ अन्य NRI भी इस आयोजन में शामिल होने आए हैं, जो कल संत निरंजन दास से गुरु दक्षिणा लेंगे। उन्होंने बताया कि स्थापना दिवस पर सैकड़ों की संख्या में लोग यहाँ गुरु रविदास का आशीर्वाद लेने के लिए पहुँचे हैं।

पंजाब से अपने परिवार के साथ पहुँची सोनी ने अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा, "हम सबका विश्वास है कि हम आज रविदास के जन्मोत्सव पर पहुँचे हैं। हम सभी यहाँ गुरु दक्षिणा लेने के लिए पहुँचे हैं। हमारे साथ एक बड़ी संगत यहाँ पहुँची है। यहाँ आकर मन को बड़ी शांति मिलती है।" उन्होंने मंदिर के सौंदर्यकरण और क्षेत्र के लगातार हो रहे विकास पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।


मंदिर का इतिहास और संपत्ति

ट्रस्ट से जुड़े निरंजन दास चीमा ने बताया कि रैदासियों के गुरु डेरा संत सरवन दास जी महाराज ने इस मौजूदा मंदिर का निर्माण कराया था। 1965 के आषाढ़ मास में इसकी नींव रखी गई थी और 7 साल बाद यानी 1972 में यह संत रविदास का मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर निर्माण के बाद से ही संत रविदास की जयंती के अवसर पर यहाँ रैदासियों की भारी भीड़ लगने लगी है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल सहित विदेशों में रहने वाले एनआरआई भक्त भी हर साल यहाँ आते हैं और संत रविदास को करोड़ों रुपये दान भी देते हैं।

जानकारी के अनुसार, मौजूदा समय में संत रविदास मंदिर के पास करीब 300 किलोग्राम सोना है। इसमें सोने की पालकी, दीप, छतर, मुकुट, और स्वर्ण कलश शामिल हैं। इसके अलावा, मंदिर का शिखर भी स्वर्ण मंदिर जैसा बना हुआ है और दरवाज़ों पर भी सोना जड़ा गया है। भक्तों द्वारा हर साल करोड़ों रुपये की नकद राशि भी इस मंदिर को दान में दी जाती है।