'संस्कृति को मानने से ज़्यादा जानने की ज़रूरत': धरोहर संरक्षण सेवा संगठन की 'संस्कृति संवाद यात्रा' में कृष्णा नंद पांडे
Dharohar Sanrakshan Seva Sangathan ki 'Sanskriti Samvad Yatra' mein Krishnanand Pandey ne kaha, Sanskriti ko manne se zyada janne ki zaroorat. Shastri aur shastra donon ka mahatva bataya.

वाराणसी: 'धरोहर संरक्षण सेवा संगठन' द्वारा सनातन धर्म के विस्तार के उद्देश्य से चलाई जा रही 'संस्कृति संवाद यात्रा' का 38वाँ पड़ाव सहज एकेडमी, सीर गोवर्धनपुर में आयोजित किया गया। इस बैठक का मुख्य ज़ोर सनातन संस्कृति के गहन अध्ययन और उसके संरक्षण पर रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी श्रीकांत त्रिपाठी ने की।
सनातन संस्कृति को जानने पर ज़ोर
संगठन के प्रमुख संयोजक और मुख्य वक्ता कृष्णा नंद पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन धर्म को मज़बूत करने के लिए सनातन संस्कृति को केवल मानना ही नहीं, बल्कि उसे जानना भी होगा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह तभी संभव है जब हम वेद, पुराणों और अपने धर्मग्रंथों का अध्ययन अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ।
पांडेय ने कहा, "अध्ययन से ज्ञात होगा कि हमारी संस्कृति शस्त्र और शास्त्र दोनों की है। बिना शस्त्र के शास्त्र का अनुसंधान संभव नहीं है। निःशस्त्र व्यक्ति हो या देश, सबसे निरीह होता है। संस्कृति ही हमारा आत्मगौरव है।" उन्होंने हर सनातनी से अपनी संस्कृति के विस्तार के लिए एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया, ताकि हर व्यक्ति को गर्व की अनुभूति हो। इसके लिए हर व्यक्ति को 'सनातन विस्तार योद्धा' बनने की ज़रूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि अपने आत्मगौरव की रक्षा व विस्तार के लिए सनातन संस्कृति के केंद्र मंदिरों को दिव्य स्वरूप में लाना होगा।
शस्त्र और शास्त्र में पारंगत सनातनी की आवश्यकता
वक्ताओं में गौरीश सिंह ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपना बलिदान देकर संस्कृति व राष्ट्र को बचाया। उन्होंने कहा कि जिन सभ्यताओं ने अपनी संस्कृति व धरोहर की रक्षा के लिए योद्धा तैयार नहीं किए, उनकी संस्कृति व धरोहर नष्ट हो गईं। गौरीश सिंह ने स्पष्ट किया कि शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हर सनातनी होगा, तभी मानवता और सनातन की रक्षा हो पाएगी।
अमित सिंह ने भी इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि "अभी समय है, अवसर है, हर सनातनी को अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने का। भारत का हर सनातनी हिन्दू जब योद्धा बनेगा, तभी सनातन संस्कृति का विस्तार होगा।"
कार्यक्रम में गणमान्य लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम का आयोजन अमित सिंह ने किया, और इसका कुशल संचालन गौरव मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से सर्वश्री चंद्रदेव पटेल, राकेश त्रिपाठी, प्रियंवदा मिश्रा, प्रिया पाठक, यशवंत सिंह, शुभम पाण्डेय, शशिकांत पाण्डेय, सतीश जी, बृजेश पाण्डेय, आर.के. पाण्डेय सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन सामूहिक श्री हनुमान चालीसा पाठ से हुआ, जिसने एक आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण किया।
यह आयोजन सनातन संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करने का एक महत्वपूर्ण कदम था।