भोपाल के '90 डिग्री' रेलवे ओवरब्रिज में होगा बदलाव: विवादों के बाद रेलवे देगा अतिरिक्त जमीन, सुरक्षा को मिलेगी प्राथमिकता
भोपाल का ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज, जिसके 90 डिग्री के तीखे मोड़ को लेकर विवाद था, अब रेलवे द्वारा अतिरिक्त जमीन दिए जाने के बाद संशोधित किया जाएगा। यह बदलाव सुरक्षा चिंताओं और सार्वजनिक आलोचना के बाद किया जा रहा है, जिससे पुल की चौड़ाई बढ़ेगी और मोड़ घुमावदार होगा।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बना ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज अपने उद्घाटन से पहले ही विवादों में घिर गया था। इसका कारण ब्रिज में बना 90 डिग्री का तीखा मोड़ था। डिज़ाइन में इस तीखे मोड़ को लेकर लगातार सवाल उठने के बाद, रेलवे ने आख़िरकार कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। अब रेलवे इस ब्रिज की संरचना में बदलाव करने के लिए अतिरिक्त ज़मीन उपलब्ध कराएगा। इस ज़मीन के मिलने के बाद ब्रिज की रेलिंग तोड़कर उस 90 डिग्री मोड़ को थोड़ा और घुमावदार बनाया जाएगा।
डिज़ाइन में क्या होगा बदलाव?
इस बदलाव के बाद, पुल की चौड़ाई क़रीब तीन फीट तक बढ़ जाएगी, जिससे वाहनों को मुड़ने के लिए और ज़्यादा जगह मिलेगी। इंजीनियरों की एक टीम ने मौक़े पर पहुँचकर ब्रिज का माप भी ले लिया है और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है। क़रीब 18 करोड़ रुपये की लागत से बना यह 648 मीटर लंबा ओवरब्रिज ऐशबाग क्षेत्र के लिए एक अहम प्रोजेक्ट है। लेकिन इसके डिज़ाइन में 90 डिग्री का मोड़ होने के चलते दुर्घटनाओं की आशंका जताई जा रही थी।
सियासत और सोशल मीडिया पर खूब हुई थी चर्चा
इस मुद्दे को लेकर सियासत भी गर्म हुई थी। सोशल मीडिया पर इस ब्रिज के डिज़ाइन को लेकर मीम्स और मज़ाक की बाढ़ आ गई थी। कोई इसे 'अजूबा' बता रहा था तो किसी ने इसे 'मुजस्सिमा ब्रिज' का नाम दे दिया। कई मीडिया संस्थानों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और ज़िम्मेदारों से सवाल किए थे, जिसके बाद अब बदलाव किए जा रहे हैं। यातायात व्यवस्था को सुगम करने के उद्देश्य से इस ब्रिज का निर्माण किया गया है, जो कि उद्घाटन से पहले ही चर्चाओं में आ गया था।
90 डिग्री वाले इस ब्रिज के कई फोटो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे, जिस पर लोग तीखी टिप्पणी करते हुए नज़र आ रहे थे। वहीं, इस ब्रिज के 90 डिग्री के मोड़ को लेकर राजनीति भी तेज़ हो गई थी। अलग-अलग पार्टी के लोग इस पर तरह-तरह की टिप्पणियाँ कर रहे थे। अब रेलवे ने ब्रिज के निर्माण में बदलाव करने के लिए ज़मीन देने पर अपनी सहमति जताई है। यह निर्णय सार्वजनिक दबाव और सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।