बिहार चुनाव 2025: NDA की मेगा तैयारी, PM मोदी सभी 9 प्रमंडलों में करेंगे ताबड़तोड़ रैलियां
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले NDA ने मेगा रणनीति बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के सभी 9 प्रमंडलों में सरकारी कार्यक्रमों और रैलियों के जरिए लोगों से जुड़ेंगे। NDA भ्रष्टाचार और 'जंगलराज' जैसे मुद्दों को उठाकर दलित वोटों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) पूरी एकजुटता के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। बिहार चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए रणनीति बनाने से लेकर प्रचार अभियान तक, सब कुछ एनडीए के साझा बैनर तले होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में एनडीए के सबसे बड़े और स्टार प्रचारक हैं, लिहाज़ा उनके बिहार में सरकारी कार्यक्रम और दौरे पहले ही शुरू हो गए हैं। एनडीए की प्रमुख रणनीति यह है कि बिहार चुनाव की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री मोदी राज्य के सभी नौ प्रमंडलों में बड़ी जनसभाएं और सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लें।
पीएम मोदी का बिहार दौरा: अब तक का सफर और आगे की योजना
बिहार में कुल 9 प्रमंडल हैं, और प्रधानमंत्री मोदी अब तक इनमें से 3 प्रमंडलों में अपनी सभाएं और सरकारी योजनाओं के शिलान्यास एवं उद्घाटन का काम सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं। पीएम मोदी की ये सभाएं और कार्यक्रम अभी तक पटना प्रमंडल के बिक्रमगंज, सारण प्रमंडल के सिवान और दरभंगा प्रमंडल के मधुबनी में हो चुके हैं।
अगली 3 सभाओं का कार्यक्रम तैयार: प्रधानमंत्री मोदी की अगली तीन जनसभाओं का विस्तृत कार्यक्रम भी तैयार हो चुका है। अगले एक से डेढ़ महीने के भीतर पीएम मोदी की 3 और प्रमंडलों में विशाल सरकारी कार्यक्रम आयोजित होंगे। पीएम मोदी की ये प्रस्तावित सभाएं गया प्रमंडल के तहत गया में, मुंगेर प्रमंडल के बेगूसराय में और कोसी प्रमंडल में होनी तय हैं।
इन 6 प्रमंडलों में सभाएं पूरी होने के बाद, बिहार चुनाव की घोषणा से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी पूर्णिया, भागलपुर और तिरहुत प्रमंडल में भी 3 और सरकारी कार्यक्रम और जनसभाएं करेंगे। इन आयोजनों के दौरान, प्रधानमंत्री करोड़ों रुपये की नई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी करेंगे। इस पूरी कवायद का मुख्य उद्देश्य यह है कि इन 9 सरकारी कार्यक्रमों और जनसभाओं के ज़रिए प्रधानमंत्री मोदी बिहार चुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही बिहार के सभी क्षेत्रों के लोगों से सीधे जुड़ सकें और विकास के एजेंडे को स्थापित कर सकें।
एनडीए की चुनावी बिसात: विकास, भ्रष्टाचार और दलित वोटबैंक
प्रधानमंत्री की इन जनसभाओं के साथ-साथ, राज्य भर में बड़े पैमाने पर सरकारी कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें हजारों करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए की रणनीति बिल्कुल साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एक तरफ विकास को सबसे बड़ा और केंद्रीय मुद्दा बनाया जाए। वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के शासनकाल के भ्रष्टाचार और 'जंगलराज' के मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर जनता के सामने रखा जाए।
सभी सीटों पर साझा अभियान और विशेष फोकस
इसके अतिरिक्त, 15 जुलाई से 15 सितंबर तक, यानी लगभग दो महीनों के भीतर, बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर एनडीए की साझा सभाएं और रैलियां आयोजित की जाएंगी। इन सभाओं और रैलियों को एनडीए के सभी राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे। इन बड़े आयोजनों से पहले, सभी जिलों और ब्लॉक स्तर पर एनडीए की महत्वपूर्ण बैठकें भी संपन्न हो चुकी हैं, जहाँ स्थानीय रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया गया है।
एनडीए में यह भी तय किया गया है कि चुनाव की रणनीति क्षेत्र विशेष की ज़रूरतों और सामाजिक समीकरणों के आधार पर अलग-अलग तैयार की जाएगी। गठबंधन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव में उग्र हिंदुत्व के मुद्दे नहीं उठाए जाएंगे, और मुस्लिम विरोधी बयानों से बचा जाएगा। सीमांचल जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष रणनीति बनाई जाएगी। जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की ज़िम्मेदारी मुस्लिम वोटों को अपनी ओर लाने की रहेगी।
एक और महत्वपूर्ण मुद्दा जिस पर एनडीए जोर-शोर से ध्यान केंद्रित करेगा, वह है लालू यादव द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर के कथित अपमान का मुद्दा। इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर एनडीए की नज़र बिहार के करीब 19 प्रतिशत दलित वोटरों पर है। यह व्यापक और बहुआयामी रणनीति एनडीए को बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने और आगामी विधानसभा चुनावों में निर्णायक जीत हासिल करने में मदद कर सकती है।