पुणे से दिल्ली एयरलिफ्ट हुए ब्रेन डेड महिला के अंग, भारतीय सेना की मदद से 3 को मिला जीवनदान
पुणे के कमांड अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित की गई 59 वर्षीय महिला के लीवर और दो किडनी को भारतीय सेना और वायुसेना की मदद से दिल्ली एयरलिफ्ट किया गया। इस अंगदान से कुल तीन मरीज़ों को नया जीवन मिला।

भारतीय सेना और वायुसेना के डॉक्टरों ने शुक्रवार को एक असाधारण उपलब्धि हासिल की। पुणे के कमांड हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने एयरफोर्स के हरक्यूलिस विमान की मदद से एक 59 वर्षीय ब्रेन डेड महिला के लीवर और दो किडनी को ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली तक सफलतापूर्वक पहुँचाया। इस अंगदान से कुल तीन लोगों को नया जीवन मिला है, जिसके लिए सेना के साथ-साथ अंगदान करने वाली महिला और उनके परिवार की भी खूब तारीफ हो रही है।
एक जवान की मां का नेक फैसला
महिला को 17 जून को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। वह भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) जवान की मां थीं। उनके बेटे ने इस दुखद घड़ी में भी मानवता का परिचय देते हुए दूसरों की मदद करने का नेक फैसला लिया और अपनी मां के अंगों को दान करने की सहमति दी। इस फैसले को साकार करने में सेना ने भी पूरा सहयोग किया।
कमांड हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने बताया, "हमारी टीम ने दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले लगभग चार घंटे से भी कम समय में एक लीवर, दो किडनी और दो कॉर्निया निकाले। इस दौरान पूरी सतर्कता बरती गई।" दिल्ली में, लीवर को एक मरीज में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया, जबकि दोनों किडनी दो अलग-अलग सेवानिवृत्त सैनिकों में ट्रांसप्लांट की गईं। इस अंगदान से कुल तीन लोगों की जान बचाई जा सकी।
ग्रीन एयर कॉरिडोर बनाकर हुआ पूरा काम
इस पूरे जटिल कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए डॉक्टरों के साथ-साथ सेना ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी। अंगों को जल्द से जल्द और समय रहते दिल्ली पहुँचाने के लिए हवाई रास्ते का इस्तेमाल किया गया। इसके लिए एक ग्रीन एयर कॉरिडोर बनाया गया, जिसने यह सुनिश्चित किया कि अंग बिना किसी देरी के दिल्ली पहुँच सकें और उनका समय पर ट्रांसप्लांट हो सके।
समन्वय और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP)
कमांड हॉस्पिटल पिछले दो सालों से सफलतापूर्वक अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) कर रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पुलिस सहित सभी संबंधित एजेंसियों के साथ सही समन्वय आवश्यक था। उन्होंने कहा, "पिछले कुछ सालों में हमने एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) स्थापित की है, जिससे ऐसे संवेदनशील और समय-सीमा वाले ऑपरेशन को कुशलता से पूरा किया जा सके।"
यह घटना सेना, वायुसेना और चिकित्सा पेशेवरों के बीच बेहतरीन समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसने मानवीय जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।