वाराणसी का भदैनी हत्याकांड: 15 गोलियों से 5 हत्याएं, अब कातिल भाइयों पर लगा गैंगस्टर

वाराणसी के भदैनी सामूहिक हत्याकांड में परिवार के पांच सदस्यों की 15 गोलियां मारकर हत्या करने वाले दो आरोपी भाइयों, विशाल और प्रशांत गुप्ता पर अब गैंगस्टर लगाया गया है। यह सनसनीखेज मामला संपत्ति विवाद और परिवारिक रंजिश से जुड़ा है।

वाराणसी का भदैनी हत्याकांड: 15 गोलियों से 5 हत्याएं, अब कातिल भाइयों पर लगा गैंगस्टर

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुए भदैनी सामूहिक हत्याकांड ने पूरे शहर को दहला दिया था। इस सनसनीखेज मामले में अब एक नया मोड़ आया है। घटना के सात महीने बाद, हत्यारोपी दोनों भाइयों, विशाल गुप्ता उर्फ विक्की और प्रशांत गुप्ता उर्फ जुगनू, पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि परिवार के पांच सदस्यों की हत्या 15 गोली मारकर की गई थी, जिसमें राजेंद्र प्रसाद गुप्ता को भी तीन गोलियां मारी गई थीं, जिनका शव अर्धनग्न अवस्था में मिला था।


क्या था पूरा मामला?

वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी मोहल्ले में रहने वाले राजेंद्र गुप्ता की रोहनिया के लाठिया में निर्माणाधीन मकान में सोते समय हत्या कर दी गई थी। वहीं, उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी की भदैनी स्थित घर में गोली मारकर हत्या की गई थी। इस पांचहरे हत्याकांड के आरोपी राजेंद्र के भतीजे विशाल गुप्ता और प्रशांत गुप्ता थे। प्रभारी निरीक्षक भेलुपुर सुधीर त्रिपाठी की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। दोनों आरोपी बीते फरवरी माह से जिला कारागार में बंद हैं।

घटना का खुलासा तब हुआ जब रीता देवी नाम की एक महिला घर की सफाई करने के लिए प्रथम तल स्थित फ्लैट पर पहुंची। दरवाजा खटखटाने पर कोई आवाज़ नहीं आई, तो उन्होंने धक्का दिया और दरवाजा खुल गया। अंदर जाने पर रीता ने नीतू को फर्श पर खून से लथपथ पड़ा देखा। वह भागकर दूसरे तल पर स्थित फ्लैट में गई तो वहाँ नवेंद्र फर्श पर खून से सना पड़ा था और गौरांगी एक कोने में मृत पड़ी थी। परिवार का पांचवां शव, राजेंद्र गुप्ता का, घटनास्थल से लगभग 14 किलोमीटर दूर मीरापुर रामपुर स्थित निर्माणाधीन मकान में बेड पर अर्धनग्न अवस्था में मिला था। सभी की कनपटी और सीने में गोली मारी गई थी।


हत्या में .32 बोर की पिस्टल का इस्तेमाल

पुलिस के शुरुआती जांच में सामने आया था कि दोनों घटनास्थल से मिले खोखा के आधार पर .32 बोर की पिस्टल का इस्तेमाल पांचों लोगों की हत्या में किया गया था। पुलिस ने पुराने विवादों और घटनाओं को ध्यान में रखकर जांच की।

मृत राजेंद्र गुप्ता पर अपने पिता, छोटे भाई और उसकी पत्नी के साथ ही एक चौकीदार की हत्या का आरोप था। पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और राजेंद्र के मोबाइल नंबर को सर्विलांस की मदद से ट्रैक करना शुरू किया, जिससे उसकी लोकेशन मीरापुर रामपुर गांव में मिली।


राजेंद्र गुप्ता का आलीशान मकान और विवादित अतीत

राजेंद्र गुप्ता का भदैनी पावर हाउस के सामने की गली में पांच मंजिला (भूतल और चार मंजिला) मकान है। मकान के अगले हिस्से में प्रथम, द्वितीय और तृतीय तल पर राजेंद्र का एक-एक फ्लैट है, जबकि अन्य फ्लैट और उससे सटे टिनशेड में 40 किरायेदार रहते हैं। राजेंद्र के साथ घर में उसकी मां शारदा देवी, दूसरी पत्नी नीतू (45), बेटे नवेंद्र (24) और सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (17) रहते थे। सुबेंद्र का शव बाथरूम में मिला था।

पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, डीएम एस राजलिंगम, ज्वाइंट सीपी डॉ. के एजिलरसन, एडिशनल सीपी डॉ. एस चनप्पा और डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल भी मौके पर पहुंचे थे। डॉग स्क्वॉड और फोरेंसिक टीम की मदद से साक्ष्य जुटाए गए।

पुलिस के अनुसार, राजेंद्र ने दो शादियाँ की थीं और हाल के दिनों में एक अन्य महिला से भी उसकी करीबी बढ़ी थी। राजेंद्र की पहली पत्नी अपने बेटे के साथ कई साल से पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रहती है।


संपत्ति विवाद और पूर्व में हुईं हत्याएं

राजेंद्र के पड़ोसियों ने बताया कि संपत्ति के लालच में राजेंद्र ने 28 साल पहले यानी 1996 में अपने छोटे भाई कृष्णा और उसकी पत्नी मंजू की हत्या भाड़े के शूटरों से कराई थी। वर्ष 1997 में राजेंद्र पर उसके पिता लक्ष्मी नारायण गुप्ता और उनके एक चौकीदार की हत्या के आरोप में भी मुकदमा दर्ज हुआ था। हालांकि, राजेंद्र की मां शारदा देवी ही मामले में वादी थीं, जिसके कारण मां को अपने पक्ष में करके वह जेल से बाहर आ गया था। कृष्णा और मंजू की हत्या का मामला रफा-दफा हो गया था।

जेल से बाहर आने के बाद वर्ष 1999 में उसने भदैनी में अपने किरायेदार एक ब्राह्मण परिवार की नीतू से प्रेम विवाह किया था। नीतू से प्रेम विवाह के बाद ही परिजनों ने उससे नाता तोड़ लिया था। राजेंद्र गुप्ता के बाबा पन्ना साव अपने दौर के संपन्न लोगों में शुमार थे। भदैनी इलाके के लोगों ने बताया कि पन्ना साव किराये पर 150 रिक्शा चलवा कर बड़े पैमाने पर चल-अचल संपत्ति के मालिक बन गए थे।

राजेंद्र के करीबियों ने बताया कि भदैनी व शिवाला के किरायेदारों और शराब ठेका संचालक से प्रति माह राजेंद्र को ₹10 लाख से ज़्यादा किराया मिलता था। मीरापुर रामपुर गांव में वह मकान बनवा रहा था, और छित्तूपुर सहित कुछ जगहों पर ज़मीन भी खरीदी थी।

यह पूरा मामला परिवारिक संपत्ति विवाद और आपराधिक पृष्ठभूमि की जटिलताओं को उजागर करता है।