ऑनलाइन शॉपिंग पर बढ़ता 'सुविधा शुल्क': 90% भारतीय उपभोक्ता चाहते हैं शुल्क-मुक्त विकल्प

एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, दो में से एक भारतीय उपभोक्ता को ऑनलाइन खरीद पर सुविधा शुल्क देना पड़ता है, और 90% ऐसे प्लेटफॉर्म पसंद करते हैं जो यह शुल्क नहीं लेते। अमेज़न और अन्य क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा हाल ही में लगाए गए शुल्क और पारदर्शिता की कमी ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है।

ऑनलाइन शॉपिंग पर बढ़ता 'सुविधा शुल्क': 90% भारतीय उपभोक्ता चाहते हैं शुल्क-मुक्त विकल्प

भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 'सुविधा शुल्क' (Convenience Fee) भारतीय उपभोक्ताओं के लिए लगातार एक बढ़ता हुआ बोझ बन रहा है। एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, दो में से एक उपभोक्ता का कहना है कि उन्हें अधिकांश ऑनलाइन खरीद पर यह शुल्क देना पड़ता है। पहले यह शुल्क चुनिंदा श्रेणियों तक सीमित था, लेकिन अब यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, डिजिटल भुगतान और टिकटिंग सेवाओं तक फैल गया है, जिससे देश भर में लाखों ऑनलाइन खरीदार प्रभावित हो रहे हैं। सर्वेक्षण में शामिल दस में से 8 उपभोक्ताओं का कहना है कि वे ऐसे प्लेटफॉर्म को प्राथमिकता देंगे जो सुविधा शुल्क नहीं लगाते।


सेवाओं और उत्पादों पर बढ़ता शुल्क

लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 62 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने बताया कि ऑनलाइन खरीदी गई अधिकांश टिकटों या सेवाओं के लिए सुविधा शुल्क लगाया गया। उनमें से 37 प्रतिशत ने कहा कि उनसे सभी ऑनलाइन सेवाओं के लिए शुल्क लिया गया, जबकि 25 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अधिकांश सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान किया।

रोजमर्रा के सामान की ऑनलाइन खरीदारी भी सुविधा शुल्क के चलते प्रभावित हुई है। सर्वेक्षण से पता चला कि 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अधिकांश उत्पाद खरीद पर सुविधा शुल्क का भुगतान किया। उनमें से 19 प्रतिशत ने कहा कि शुल्क ऑनलाइन खरीदी गई सभी वस्तुओं पर लागू होता है और 33 प्रतिशत ने कहा कि यह अधिकांश पर लागू होता है।


उपभोक्ताओं की स्पष्ट प्राथमिकता: शुल्क-मुक्त प्लेटफॉर्म

सर्वेक्षण में शामिल 78 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि ऐसे प्लेटफॉर्म को चुने जाने की अपार संभावनाएं हैं, जो उत्पादों या सेवाओं पर सुविधा शुल्क नहीं लेते हैं। वहीं, अन्य 12 प्रतिशत ने माना कि वे ऐसी संभावना रखते हैं, जिसका मतलब ये है कि करीब 90 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने शुल्क-मुक्त विकल्पों के लिए स्पष्ट प्राथमिकता जताई है।


ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नए शुल्क

अमेज़न इंडिया समेत अन्य ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जैसे ब्लिंकिट, जेप्टो, स्विगी इंस्टामार्ट, बिगबास्केट, अजियो ने इस महीने की शुरुआत में हर एक ऑर्डर पर ₹5 का मार्केटप्लेस शुल्क लागू किया। यह शुल्क सभी ऑर्डर पर लागू होता है, जिसमें अमेज़न प्राइम सदस्यों द्वारा दिए गए ऑर्डर भी शामिल हैं, जो पहले ही तेज़ डिलीवरी के लिए सदस्यता शुल्क का भुगतान करते हैं। हालांकि, अमेज़न के गिफ्ट कार्ड और डिजिटल सेवाओं को इस शुल्क से छूट दी गई है।

सुविधा शुल्क की अवधारणा नई नहीं है, क्योंकि हवाई या ट्रेन टिकट बुक करते समय सुविधा शुल्क लिया जाना सामान्य है। इसी तरह, बिजली या ब्रॉडबैंड बिलों के भुगतान और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से मूवी टिकट खरीदने के लिए भी निश्चित शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। आमतौर पर यह शुल्क पैकेजिंग, डिलीवरी या ऑर्डर न्यूनतम सीमा से कम होने के नाम पर लिया जाता है। यही नहीं, अलग-अलग शहरों और कस्बों में अलग-अलग डिलीवरी शुल्क को पूरा करने के लिए सुविधा शुल्क भी अलग होता है। अगर ग्राहक द्वारा किसी भी कारण से कोई उत्पाद वापस किया जाता है, तो सुविधा शुल्क वापस नहीं किया जाता है।


पारदर्शिता की कमी और नियमों का उल्लंघन

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की 21 अप्रैल 2022 की अधिसूचना के अनुसार, नियम है कि सुविधा शुल्क किसी भी लेनदेन से पहले पारदर्शी तरीके से कार्डधारक को सूचित किया जाएगा। यह शुल्क को क्रेडिट या डेबिट कार्ड का उपयोग करने के लिए एक निश्चित या आनुपातिक शुल्क के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन ई-कॉमर्स समेत अन्य माध्यम अपने तरीके से चल रहे हैं। सर्वेक्षण पारदर्शिता संबंधी चिंताओं को उजागर करता है; सर्वे में कहा गया है कि शायद ही कोई कंपनी या पोर्टल सुविधा शुल्क की जानकारी को पहले से प्रदर्शित करता है।

हाल ही में, GooglePayIndia का उपयोग करने वाले एक उपभोक्ता ने सोशल मीडिया पर यह जानकर आश्चर्य व्यक्त किया कि उससे लिंक किए गए बैंक खाते से मोबाइल फ़ोन बिल का भुगतान करने के लिए सुविधा शुल्क लिया गया था।


स्थायी स्टोर और स्कूल फीस पर भी शुल्क

समस्या केवल डिजिटल कॉमर्स तक ही सीमित नहीं है। कई स्थायी स्टोर कथित तौर पर कार्ड भुगतान के लिए शुल्क लगाते हैं, खासकर क्रेडिट कार्ड पर। शुल्क अक्सर अलग-अलग होते हैं और कुल लेनदेन मूल्य के 3 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, क्रेडिट कार्ड के ज़रिए स्कूल फीस के भुगतान पर अभिभावकों ने ₹2,000 से अधिक शुल्क की भी सूचना दी है।

लोकल सर्कल्स सर्वेक्षण ने 321 जिलों के उपभोक्ताओं से 40,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं एकत्र कीं, जिसमें 64% पुरुष और 36% महिला प्रतिभागी शामिल थे। 42% टियर 1 शहरों से, 22% टियर 2 शहरों से और 36% टियर 3, टियर 4 और ग्रामीण क्षेत्रों से थे। सभी प्रतिभागी लोकल सर्कल्स प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत सत्यापित भारतीय नागरिक थे।

आरबीआई की अधिसूचना स्पष्ट है कि सुविधा शुल्क वसूलने के लिए व्यवसायों को भुगतान से पहले शुल्क का खुलासा करना होगा, यह सुनिश्चित करना होगा कि यह वैकल्पिक है और लेनदेन राशि पर शुल्क नहीं है। हालांकि, व्यवहार में यह पारदर्शिता अक्सर गायब रहती है।