ईरान-इजराइल जंग: सुप्रीम लीडर खामेनेई की सुरक्षा में 'वली-ए-अम्र' फोर्स, कौन हैं ये 'सत्ता के रखवाले'?

ईरान-इजराइल जंग के बीच, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ईरान की सबसे एलीट सिक्योरिटी फोर्स 'वली-ए-अम्र' ने संभाली है। यह इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की विशेष शाखा है, जिसमें 12,000 प्रशिक्षित जवान शामिल हैं, जो सिर्फ खामेनेई के अंगरक्षक नहीं, बल्कि ईरान की सत्ता के भी रखवाले माने जाते हैं।

ईरान-इजराइल जंग: सुप्रीम लीडर खामेनेई की सुरक्षा में 'वली-ए-अम्र' फोर्स, कौन हैं ये 'सत्ता के रखवाले'?
डोनाल्ड ट्रंप, खामेनेई और नेतन्याहू. (फाइल फोटो)

ईरान और इजराइल के बीच जारी जंग के 12वें दिन एक अहम मोड़ तब आया जब इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सैन्य अभियान पूरा होने और हमले रोकने का ऐलान किया। यह घोषणा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की युद्ध रोकने की अपील के बाद हुई। ट्रम्प ने सीजफायर का ऐलान किया और कहा कि यह छह घंटे के भीतर लागू होगा, लेकिन ईरान के विदेश मंत्री ने इसे तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि जब तक इजराइल हमले पूरी तरह नहीं रोकता, ईरान भी पीछे नहीं हटेगा।

इस बीच, अब सारी निगाहें ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई पर टिकी हैं। 86 वर्षीय खामेनेई इस वक्त अपने परिवार के साथ एक सीक्रेट लोकेशन पर हैं, जहाँ उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ईरान की सबसे एलीट सिक्योरिटी फोर्स—Sepah-e Vali-ye Amr, यानी वली-ए-अम्र ने संभाली है।


क्या है 'वली-ए-अम्र' फोर्स?

'वली-ए-अम्र' का शाब्दिक अर्थ होता है—'आदेश देने वाले की फौज', और ईरान में इसका सीधा मतलब है सुप्रीम लीडर की सुरक्षा फौज। यह ईरान की कुख्यात इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एक विशेष शाखा है, जिसका एकमात्र काम खामेनेई की जान की हिफाज़त करना है।

इस यूनिट की स्थापना 1980 के दशक के मध्य में हुई थी और आज इसमें लगभग 12,000 बेहद कुशल और खास ट्रेनिंग पाए जवान शामिल हैं। ये जवान सिर्फ हथियार चलाने में माहिर नहीं हैं, बल्कि साइबर वॉरफेयर, काउंटर इंटेलिजेंस और इंटरनल थ्रेट मैनेजमेंट में भी दक्ष हैं।


कमांडर बदला, नई रणनीति

IRNA की एक खबर के मुताबिक, इस हाई-सिक्योरिटी यूनिट में 2022 में बदलाव हुआ था। इसकी कमान ब्रिगेडियर जनरल हसन मशरुईफर ने संभाली थी, जिन्हें IRGC के चीफ हुसैन सलामी ने नियुक्त किया था। वही हुसैन सलामी जिनकी 13 जून को इजरायली हमले में मौत हो गई थी। पुराने कमांडर इब्राहीम जब्बारी को एक सम्मान पत्र देकर विदा किया गया, जो कभी IRGC की 'बसीज' मिलिशिया में खुफिया प्रमुख हुसैन ताएब के डिप्टी थे। इस फोर्स के बारे में कई जानकारियाँ गुप्त रखी जाती हैं।


सिर्फ अंगरक्षक नहीं, सत्ता के रखवाले

'वली-ए-अम्र' को केवल एक सिक्योरिटी यूनिट समझना गलती होगी। यह ईरान की सत्ता की रीढ़ है। अगर खामेनेई के साथ कुछ होता है, तो यही यूनिट तुरंत नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया को सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से अंजाम देती है। इसलिए कहा जाता है कि वली-ए-अम्र सिर्फ एक बॉडीगार्ड यूनिट नहीं, बल्कि ईरान की सत्ता की गारंटी है।

ईरान की राजनीति के इस नाजुक मोड़ पर वली-ए-अम्र फोर्स की मौजूदगी सिर्फ खामेनेई की सुरक्षा का प्रतीक नहीं है, बल्कि ईरान की व्यवस्था और नेतृत्व की स्थिरता का संदेश भी है—चाहे दुश्मन कोई भी हो।